Superfood Duckweed एक छोटा सा जल पौधा है जो अब दुनिया भर में तेजी से चर्चा में है। इसे ‘काली नागिन’ जैसा दिखने वाला भी कहा जाता है क्योंकि यह पानी की सतह पर फैलता है और पूरे तालाब को ढक देता है। लेकिन इसका असली कमाल इसके पोषण तत्वों में छिपा है।
Superfood Duckweed क्या है?
Duckweed, जिसे Lemnoideae भी कहा जाता है, एक जल पौधा है जो फूलों वाले पौधों के परिवार से आता है। यह पानी की सतह पर पट्टियों की तरह तैरता है और कुछ ही दिनों में अपना आकार दोगुना कर लेता है। इसे “water lentils” या “जल मसूर” भी कहा जाता है।
Superfood Duckweed में छिपा है पोषण का खजाना
- यह पौधा प्रोटीन, आयरन और फोलेट से भरपूर होता है।
- Blauz Appen Roads की रिसर्च बताती है कि डक्वीड की लगभग हर प्रजाति में हाई प्रोटीन कंटेंट पाया जाता है।
- भारत में मौजूद डक्वीड की 500 से अधिक प्रजातियों का सबसे बड़ा संग्रह एक रिसर्च केंद्र के पास है।
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Duckweed Superfood पर हो रहा है रिसर्च
भारतीय वैज्ञानिकों के साथ हो रहा है सहयोग
Duckweed को लेकर भारत के वैज्ञानिक और अंतर्राष्ट्रीय संस्थान मिलकर काम कर रहे हैं। इसके जरिए कुपोषण की समस्या को हल करने का प्रयास जारी है।
फैटी एसिड पर भी हो रहा है काम
कुछ रिसर्चर्स ऐसी Duckweed प्रजातियों को विकसित कर रहे हैं जिनमें फैटी एसिड की मात्रा बढ़ाई जा सके, ताकि यह और ज्यादा पौष्टिक बन सके।
जर्मनी में Duckweed की चुनौतियां
- जर्मनी में Duckweed को खुले में उगाना मुश्किल है क्योंकि वहां सर्दियों में ठंड बहुत होती है।
- Duckweed तालाबों में मौजूद अन्य पौधों की वृद्धि को रोक देती है और पानी को गंदा कर सकती है।
- लेकिन कार्ल्सरूहे की एक कंपनी ने इसके लिए एक खास मल्टी-लेवल कल्टीवेशन सिस्टम विकसित किया है।
Multi-Level Cultivation से मिलेगा ज्यादा उत्पादन
- लोहे (Iron) की मदद से यह पौधा कम रोशनी में भी फोटोसिंथेसिस कर सकता है।
- इस विशेषता को ध्यान में रखते हुए रैक सिस्टम के जरिए एक छोटे इलाके में कई गुना उत्पादन संभव है।
Duckweed को कैसे खाया जा सकता है?
Duckweed का सबसे बड़ा फायदा यह है कि इसे कई तरह से खाया जा सकता है:
- सूप में मिलाकर
- सलाद के रूप में
- स्मूदी में ब्लेंड कर के
Duckweed Superfood का भविष्य
Duckweed Superfood न केवल पर्यावरण के अनुकूल है, बल्कि भविष्य में यह कुपोषण जैसी वैश्विक समस्याओं के समाधान में भी उपयोगी हो सकता है। यदि भारत जैसे देश में इसका व्यावसायिक उपयोग बढ़ता है, तो यह एक हरित क्रांति का हिस्सा बन सकता है।