85 Total Ramsar sites In India 2024: Ramsar Wetlands in india
भारत में पर्यावरण और जैव विविधता की रक्षा के लिए रामसर स्थलों का महत्वपूर्ण योगदान है। रामसर साइट्स (Ramsar Sites List In India) ऐसे आर्द्रभूमि क्षेत्र होते हैं जिन्हें अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व की आर्द्रभूमियों के रूप में मान्यता दी जाती है। इन स्थलों को जल संरक्षण और पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखने के लिए विशेष रूप से संरक्षित किया जाता है।
वर्तमान में, 2024 तक भारत में 85 (October 2024) रामसर स्थल घोषित किए जा चुके हैं। यह सूची सभी प्रतियोगी परीक्षाओं, जैसे UPSC, SSC, बैंकिंग, और रेलवे के लिए महत्वपूर्ण है।
रामसर साइट क्या होता है ?
आर्द्रभूमि (Wetland) ऐसा भूभाग होता है जहाँ के पारितंत्र का बड़ा हिस्सा स्थाई रूप से या प्रतिवर्ष किसी मौसम में जल से संतृप्त हो या उसमें डूबा रहे ऐसे क्षेत्रों में जलीय पौधों का बाहुल्य रहता है और यही आर्द्रभूमियों को परिभाषित करता है।
विश्व आर्द्रभूमि दिवस (WWD):
अंतरराष्ट्रीय वेटलैंड्स दिवस
2 फरवरी: अंतरराष्ट्रीय वेटलैंड्स दिवस के रूप में मनाया जाता है क्योंकि इसी दिन 1971 में रामसर कन्वेंशन पर हस्ताक्षर किए गए थे।
वर्ष 2024 का थीम “वेटलैंड्स एंड ह्यूमन वेलबीइंग” है, जो हमारे जीवन की गुणवत्ता में आर्द्रभूमियों की भूमिका पर प्रकाश डालता है। यह थीम इस बात को रेखांकित करती है कि आर्द्रभूमियाँ बाढ़ सुरक्षा, स्वच्छ जल, और जैव विविधता को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं, जो मानव स्वास्थ्य और समृद्धि के लिए आवश्यक हैं।
रामसर स्थलों का महत्व
Ramsar Wetland Sites (रामसर स्थलों) का महत्व पर्यावरण संरक्षण, जैव विविधता संरक्षण और पर्यटन के दृष्टिकोण से अत्यधिक है। ये स्थल न केवल हजारों प्रजातियों के लिए आवास प्रदान करते हैं बल्कि स्थानीय समुदायों के लिए आजीविका के स्रोत भी हैं।
- जैव विविधता संरक्षण: रामसर स्थल विभिन्न प्रकार की वनस्पतियों और जीवों का घर हैं। यहाँ कई दुर्लभ और संकटग्रस्त प्रजातियाँ पाई जाती हैं।
- पर्यावरण संरक्षण: ये स्थल जल संसाधनों के संरक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। ये बाढ़ नियंत्रण, भूजल पुनर्भरण और जल गुणवत्ता सुधार में सहायक हैं।
- रामसर स्थलों का पर्यटन महत्व: रामसर स्थल पर्यटन के लिए भी महत्वपूर्ण हैं। यहाँ आने वाले पर्यटक न केवल प्राकृतिक सौंदर्य का आनंद ले सकते हैं बल्कि विभिन्न प्रकार की वनस्पतियों और जीवों को भी नजदीक से देख सकते हैं।
- पर्यटन से स्थानीय अर्थव्यवस्था को लाभ: रामसर स्थलों पर पर्यटन से स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी बढ़ावा मिलता है। यहाँ के स्थानीय लोगों को रोजगार के अवसर प्राप्त होते हैं और उनकी आजीविका में सुधार होता है।
आर्द्रभूमि संरक्षण के लिए अन्य पहलें:
- वैश्विक स्तर पर:
- मोंट्रेक्स रेकॉर्ड: यह उन आर्द्रभूमियों की सूची है जहाँ तकनीकी विकास, प्रदूषण, या अन्य मानवीय हस्तक्षेप के कारण पारिस्थितिकीय स्वरूप में परिवर्तन हो रहा है या हो सकता है।
- विश्व आर्द्रभूमि दिवस: आर्द्रभूमियों के संरक्षण के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए हर साल 2 फरवरी को मनाया जाता है।
- राष्ट्रीय स्तर पर:
- आर्द्रभूमि (संरक्षण एवं प्रबंधन) नियम, 2017
- जलीय पारिस्थितिकी प्रणालियों के संरक्षण के लिए राष्ट्रीय योजना (NPCA)
- अमृत धरोहर क्षमता निर्माण योजना
- राष्ट्रीय आर्द्रभूमि संरक्षण कार्यक्रम (NWCP): इसे 1985 में आर्द्रभूमि पारिस्थितिकी प्रणालियों के संरक्षण के लिए शुरू किया गया था।
What is Ramsar Convention?
रामसर कन्वेंशन एक अंतर सरकारी पर्यावरण संधि है जिसे 2 फरवरी 1971 को ईरान के रामसर शहर में स्थापित किया गया था। इसका उद्देश्य वेटलैंड्स का संरक्षण और प्राकृतिक संसाधनों का सतत उपयोग बढ़ावा देना है। भारत ने इस कन्वेंशन पर 1 फरवरी 1982 को हस्ताक्षर किए थे।
- रामसर, ईरान का एक शहर है, जहां 2 फरवरी 1971 को आर्द्रभूमि के संरक्षण और स्थाई उपयोग के लिए एक अंतर्राष्ट्रीय सन्धि पर हस्ताक्षर किए गए थे, इस समझौते को रामसर समझौते के नाम से जाना जाता है।
- रामसर कन्वेंशन- रामसर साइट वेटलैंड्स हैं, जिनका अंतर्राष्ट्रीय महत्व है वेल्टैंड्स के कन्वेंशन को रामसर कन्वेंशन कहा जाता है।
- उद्देश्य – इसका मुख्य उद्देश्य पूरी दुनिया में महत्वपूर्ण वेटलैंड्स की सुरक्षा करना है और यह सम्मेलन 21 दिसंबर 1975 में कार्रवाई में आया था।
Ramsar Sites: Facts
- जैवविविधता की दृष्टि से आर्द्रभूमियाँ अत्यंत संवेदनशील होती है क्योंकि विशेष प्रकार की वनस्पति व अन्य जीव ही आर्द्रभूमि पर उगने और फलने- फूलने के लिए अनुकूलित होते है
- यह जल एवं स्थल के मध्य का संक्रमण होता है इनमें दलदल, नदियां, झीलें, डेल्टा, बाढ़ के मैदान चावल के खेत, समुद्री क्षेत्र, तालाब और जलाशय आदि शामिल है
- ‘रामसर साइट’ रामसर कन्वेंशन के तहत अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व की एक आर्द्रभूमि है, जिसे वर्ष 1971 में यूनेस्को द्वारा स्थापित एक अंतर-सरकारी पर्यावरण संधि ‘वेटलैंड्स पर कन्वेंशन’ के रूप में भी जाना जाता है और इसका नाम ईरान के रामसर शहर के नाम पर रखा गया है।
- उद्देश्य – आर्द्रभूमि का संरक्षण करना और प्राकृतिक संसाधनों के सतत उपयोग को बढ़ावा देना ।
Highest Ramsar Sites in India: Facts
- October 2024 तक भारत में 85 रामसर साइटें हैं।
- पिछले दस वर्षों में, भारतीय रामसर स्थलों की संख्या 26 से बढ़कर 85 हो गई है।
- भारत ने 1 फरवरी 1982 को रामसर कन्वेंशन पर हस्ताक्षर किये थे ।
- सुंदरवन (पश्चिम बंगाल) भारत का सबसे बड़ा रामसर स्थल है।
- रेणुका रामसर स्थल (हिमाचल प्रदेश) भारत का सबसे छोटा रामसर स्थल है।
- भारत में सबसे अधिक रामसर साइटें तमिलनाडु (18) में हैं।
- 1981 चिल्का झील (ओडिशा) और केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान (राजस्थान) को भारत के पहले रामसर स्थलों के रूप में मान्यता दी गई थी।
- वर्तमान में दुनिया में 2500 से अधिक रामसर साइटें हैं।
- दुनिया की पहली रामसर साइट की पहचान 1974 में की गई थी, जो ऑस्ट्रेलिया में कोबर्ग प्रायद्वीप था।
- 2 फरवरी को अंतर्राष्ट्रीय वेटलैंड्स दिवस के रूप में मनाया जाता है, क्योंकि 2 फरवरी, 1971 को रामसर कन्वेंशन पर हस्ताक्षर किए गए थे।
- रामसर सूची का रखरखाव रामसर सम्मेलन के सचिवालय द्वारा किया जाता है, जो स्विट्जरलैंड के ग्लैंड में अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (IUCN) मुख्यालय में स्तिथ है।
- भारत और चीन संयुक्त रूप से दुनिया में रामसर स्थलों की तीसरी सबसे बड़ी संख्या रामसर साइटें पाये जाते हैं। दोनों देशों में 82 आर्द्रभूमि, रामसर स्थलों की सूची में शामिल हैं.
- यूनाइटेड किंगडम 175 रामसर स्थलों के साथ दुनिया में रामसर स्थलों देशों की सूची में सबसे आगे है, जबकि मेक्सिको 144 रामसर स्थलों के साथ दूसरे स्थान पर है।
- विश्व के सबसे बड़े रामसर स्थल: रियो नीग्रो (ब्राजील), गिरी-तुम्बा-मेन बॉम्बे (कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य), क्वीन मौड गल्फ (कनाडा)
2024 में शामिल 10 नए रामसर स्थल: भारत के रामसर स्थलों की सूची
हाल ही में केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने घोषणा की है कि विश्व आर्द्रभूमि दिवस 2024 की पूर्व संध्या पर, भारत ने 10 नई आर्द्रभूमियों को रामसर स्थलों के रूप में नामित किया है, जिससे इनकी कुल संख्या 75 से बढ़कर 85 हो गई है। तमिलनाडु अब 18 रामसर स्थलों के साथ सबसे आगे है, इसके बाद उत्तर प्रदेश में 10 रामसर स्थल हैं।
- अंकसमुद्र पक्षी संरक्षण रिजर्व – कर्नाटक/ February 2024 में शामिल रामसर स्थल
- अघनाशिनी मुहाना – कर्नाटक/ February 2024 में शामिल रामसर स्थल
- मगदी केरे संरक्षण रिजर्व – कर्नाटक/ February 2024 में शामिल रामसर स्थल
- कराईवेट्टी पक्षी अभयारण्य – तमिलनाडु/ February 2024 में शामिल रामसर स्थल
- लॉन्गवुड शोला रिजर्व वन – तमिलनाडु/ February 2024 में शामिल रामसर स्थल
- नागी पक्षी अभयारण्य (81वां) / June 2024 में शामिल रामसर स्थल
- नकटी पक्षी अभयारण्य (82वां)/ June 2024 में शामिल रामसर स्थल
- नंजरायन पक्षी अभयारण्य (तमिलनाडु) August 2024 में शामिल रामसर स्थल
- काजुवेली पक्षी अभयारण्य (तमिलनाडु)/ August 2024 में शामिल रामसर स्थल
- तवा जलाशय (मध्य प्रदेश)/ August 2024 में शामिल रामसर स्थल
85 Total Ramsar Sites In IndiaList: November 2024
भारत के सभी 85 रामसर स्थलों की सूची और उनकी राज्यवार स्थिति जानना महत्वपूर्ण है। यह जानकारी आपकी भूगोल और पर्यावरण संबंधी ज्ञान को बढ़ाने में सहायक होगी।
Total Ramsar Sites In Tamilnadu
- कराईवेट्टी पक्षी अभयारण्य (2024): यह स्थल पक्षियों की 198 से अधिक प्रजातियों का आश्रय स्थल है, जिनमें बार-हेडेड गूज़, पिन-टेल्ड डक और गार्गेनी शामिल हैं। यहाँ की आर्द्रभूमि का पानी कृषि फसलों की सिंचाई के लिए भी इस्तेमाल होता है।
- लॉन्गवुड शोला रिजर्व वन (2024): यह उष्णकटिबंधीय वर्षावन नीलगिरि के पहाड़ी इलाकों में स्थित है और ब्लैक-चिन्ड नीलगिरि लाफिंग थ्रश और नीलगिरि ब्लू रॉबिन जैसी लुप्तप्राय प्रजातियों का घर है।
- करिकिली पक्षी अभयारण्य (2022)
- पल्लिकरनई मार्श रिजर्व फॉरेस्ट (2022)
- पिचवरम मैंग्रोव (2022)
- कुनथनकुलम पक्षी अभयारण्य (2022)
- मन्नार की खाड़ी समुद्री बायोस्फीयर रिजर्व (2022)
- उदयमार्थदपुरम पक्षी अभयारण्य (2022)
- वेदान्थंगल पक्षी अभयारण्य (2022)
- वेलोड पक्षी अभयारण्य (2022)
- वेम्बन्नूर वेटलैंड कॉम्प्लेक्स (2022)
- चित्रांगुडी पक्षी अभ्यारण्य (2022)
- सुचिन्द्रम थेरूर वेटलैंड कॉम्प्लेक्स (2022)
- वडुवुर पक्षी अभ्यारण्य (2022)
- कांजीरंकुलम पक्षी अभयारण्य (2022)
- काझुवेली पक्षी अभयारण्य (2022)
- नंजारायन पक्षी अभयारण्य (2022)
- प्वाइंट कैलिमेरे वन्यजीव और पक्षी अभयारण्य (2002)
उत्तर प्रदेश रामसर स्थल लिस्ट
- ऊपरी गंगा नदी (2005)
- नवाबगंज पक्षी अभयारण्य (2019)
- साण्डी पक्षी अभयारण्य (2019)
- समसपुर पक्षी अभयारण्य (2019)
- समन पक्षी अभयारण्य (2019)
- पार्वती अरगा पक्षी अभयारण्य (2019)
- सरसई नावर झील (2019)
- सुर सरोवर झील (2020)
- हैदरपुर वेटलैंड (2021)
- बखीरा वन्यजीव अभ्यारण (2022)
ओडिशा: Ramsar Sites List
- चिल्का झील (1981) – ओडिशा
- भितरकनिका मैंग्रोव (2002) – ओडिशा
- सतकोसिया गॉर्ज (2022) – ओडिशा
- टंपारा झील (2002) – ओडिशा
- हीराकुंड रिजर्व (2002) – ओडिशा
- अनसुपा झील (2022) – ओडिशा
पंजाब: Ramsar Sites List
- हरिके झील (1990)
- कंजली झील (2002)
- रोपड़ आर्द्रभूमि (2002)
- केशोपुर मिआनी कम्युनिटी रिजर्व (2019)
- नांगल वन्यजीव अभयारण्य (2019)
- व्यास संरक्षण रिजर्व (2019)
जम्मू-कश्मीर: Ramsar Sites List
- वुलर झील (1990)
- होकेरा आर्द्रभूमि (2005)
- सुरिसर और मानसर झील (2005)
- हाइगम वेटलैंड कंजर्वेशन रिजर्व (2022)
- शालबुग वेटलैंड कंजर्वेशन रिजर्व (2022)
कर्नाटक: रामसर स्थल लिस्ट
- अंकसमुद्र पक्षी संरक्षण रिजर्व (2024): यह एक मानव निर्मित सिंचाई टैंक है, जो 244.04 एकड़ क्षेत्र में फैला है। यह स्थान पक्षी संरक्षण के लिए जाना जाता है।
- अघनाशिनी ज्वारनदमुख मुहाना (2024): 4,801 हेक्टेयर में फैला यह स्थल अरब सागर और अघनाशिनी नदी के संगम पर स्थित है। यह क्षेत्र जैवविविधता संरक्षण, मछली पालन, कृषि, और अन्य आजीविका गतिविधियों का समर्थन करता है। यहाँ के मैंग्रोव तट चक्रवात और तूफानों से सुरक्षा प्रदान करते हैं।
- मगदी केरे संरक्षण रिजर्व (2024): 50 हेक्टेयर में फैली इस आर्द्रभूमि का निर्माण सिंचाई के लिए वर्षा जल को संग्रहित करने हेतु किया गया था। यह दक्षिण भारत में बार-हेडेड गूज़ के सबसे बड़े शीतकालीन आश्रय स्थलों में से एक है और इसे एक महत्त्वपूर्ण पक्षी और जैवविविधता क्षेत्र (IBA) के रूप में घोषित किया गया है।
- रंगनाथितु वी एस (2022)
मध्य प्रदेश स्थित रामसर स्थल लिस्ट
- भोज आर्द्रभूमि (2002)
- साख्य सागर (2022)
- सिरपुर झील आर्द्रभूमि (इंदौर) (2022)
- यशवंत सागर (13 अगस्त 2022)
- तवा परियोजना आर्द्रभूमि (August 2024)
गुजरात स्थित रामसर स्थल लिस्ट
- नालसरोवर पक्षी अभयारण्य (2012)
- वाधवाना आर्द्रभूमि क्षेत्र (2021)
- थोल झील वन्यजीव अभ्यारण्य (2021)
- खिजड़िया वन्यजीव अभयारण्य (2022)
बिहार: बिहार के रामसर स्थल लिस्ट
- काबर ताल झील (2020)
- नागी पक्षी अभयारण्य (81वां) / June 2024 में शामिल रामसर स्थल
- नकटी पक्षी अभयारण्य (82वां)/ June 2024 में शामिल रामसर स्थल
महाराष्ट्र: स्थित रामसर स्थल लिस्ट
- नंदुर मध्यमेश्वर (2019)
- लोनार झील (2020)
- ठाणे क्रीक (2022)
हिमाचल प्रदेश: Ramsar Sites
- पोंग बांध झील (2002)
- चंदेरटल आर्द्रभूमि (2005)
- रेणुका आर्द्रभूमि (2005)
केरल: Ramsar Sites
- अष्टमुडी झील (2002)
- सस्थमकोट्टा झील (2002)
- वेम्बनाड-कोल आर्द्रभूमि क्षेत्र (2002)
हरियाणा: Ramsar Sites
- सुल्तानपुर राष्ट्रीय उद्यान (2021)
- भिंड़ावास वन्यजीव अभ्यारण्य (2021)
राजस्थान: Ramsar Sites
- केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान (1981)
- सांभर झील (1990)
पश्चिम बंगाल स्थित रामसर स्थल लिस्ट
- पूर्व कोलकाता आर्द्रभूमि (2002)
- सुंदरवन डेल्टा क्षेत्र (2019) 2)
लद्दाख स्थित रामसर स्थल लिस्ट
- त्सो मोरीरी झील (2002)
- त्सो कर आर्द्रभूमि क्षेत्र (2020)
मणिपुर: Ramsar Wetlands
- लोकटक झील (1990)
आंध्र प्रदेश: Ramsar Wetlands
- कोलेरु झील (2002)
असम: Ramsar Wetlands
- दीपोर बील (2002)
मिजोरम: Ramsar Wetlands
- पाला अर्द्धभूमि (2022)
गोवा स्थित रामसर स्थल लिस्ट
- नंदा झील (2022)
त्रिपुरा स्थित रामसर स्थल लिस्ट
- रुद्रसागर झील (2005)
उत्तराखंड: India Ramsar Sites
- आसन कंजर्वेशन रिजर्व (2020)
Download 85 Totel Ramsar Sites List PDF 2024
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निष्कर्ष: Ramsar Sites In India
भारत के 85 India Ramsar Sites (रामसर स्थल) न केवल पर्यावरणीय संरक्षण के लिए महत्वपूर्ण हैं, बल्कि इनका ज्ञान प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए भी अत्यधिक उपयोगी है। रामसर स्थलों का अध्ययन आपको भारत की जैव विविधता और जल संरक्षण के प्रयासों को बेहतर ढंग से समझने में मदद करेगा। यह सूची आपके सामान्य ज्ञान को बढ़ाने और आपको आने वाली परीक्षाओं में सफलता दिलाने में सहायक साबित होगी।
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- महत्वपूर्ण संशोधन की सूची (1951-2024
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ये है भारत के रामसर स्थलों की सूची, जो देश के विभिन्न हिस्सों में फैले हुए हैं। ये स्थल न केवल जैव विविधता के लिए महत्वपूर्ण हैं बल्कि पर्यावरण संरक्षण में भी अहम भूमिका निभाते हैं। भारत में रामसर स्थल न केवल पर्यावरण और जैव विविधता के संरक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, बल्कि पर्यटन और स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी प्रोत्साहन देते हैं। ये स्थल हमारे प्राकृतिक धरोहर हैं जिन्हें संरक्षित और संवर्धित करना हम सबकी जिम्मेदारी है।