आउट ऑफ स्कूल बच्चे अब नहीं रहेंगे पीछे: UP के 22,000+ सेंटर और 68,000 बच्चों की वापसी

स्कूल यूनिफॉर्म में लाइन से चलते हुए भारतीय बच्चे, यूपी सरकार की आउट ऑफ स्कूल बच्चों के लिए योजना के तहत

उत्तर प्रदेश सरकार ने एक महत्वपूर्ण पहल की है जिससे 68,913 आउट ऑफ स्कूल बच्चों को फिर से शिक्षा की मुख्यधारा में लाया जाएगा। यह कदम शिक्षा का अधिकार (RTE) अधिनियम के 100% अनुपालन को सुनिश्चित करने की दिशा में एक बड़ा प्रयास है। गरीबी, काम, पारिवारिक कारणों या पलायन जैसी वजहों से स्कूल छोड़ चुके बच्चों को फिर से स्कूल से जोड़ने का लक्ष्य रखा गया है।

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स्वर शारदा कार्यक्रम

उत्तर प्रदेश सरकार की यह पहल ‘स्वर शारदा कार्यक्रम के तहत शुरू की जा रही है। इसका मुख्य उद्देश्य उन बच्चों को शिक्षा प्रदान करना है जिन्होंने कभी स्कूल नहीं देखा या किसी कारणवश बीच में ही पढ़ाई छोड़ दी।

आउट ऑफ स्कूल मिशन

सरकार ने 1 अगस्त 2025 से एक बड़ा अभियान शुरू करने की घोषणा की है। इस मिशन के तहत, 68,913 आउट ऑफ स्कूल बच्चों को स्कूल से जोड़ने की योजना है।

22,000 से अधिक Special Training Centres

इस अभियान को सफल बनाने के लिए, 22,044 विशेष प्रशिक्षण केंद्र (Special Training Centres) स्थापित किए जाएंगे।

  • ये केंद्र उन इलाकों में खोले जाएंगे जहाँ 5 या उससे अधिक OoS(आउट ऑफ स्कूल बच्चे) रहते हैं।
  • प्रयागराज में 411, प्रतापगढ़ में 208, कौशाम्बी (कैसरबागी) में 224, और अमेठी, लखनऊ जैसे जिलों में भी केंद्र बनाए जा रहे हैं।
  • इन सेंटरों में बच्चों को 5 से 9 महीने की अवधि में शिक्षा से जोड़ा जाएगा ताकि वे मुख्यधारा की कक्षाओं में शामिल हो सकें।

कौन पढ़ाएगा इन बच्चों को?

इन विशेष प्रशिक्षण केंद्रों में पढ़ाने के लिए स्थानीय शिक्षित युवाओं या सेवानिवृत्त शिक्षकों का चयन किया जाएगा।

  • चयन उच्च माध्यमिक (12वीं), ग्रेजुएशन, DElEd या B.Ed. जैसी शैक्षिक योग्यताओं के आधार पर होगा।
  • प्रत्येक शिक्षक को ₹4000 प्रति माह मानदेय दिया जाएगा।

उत्तर प्रदेश क्यों है इस मिशन में सबसे आगे?

उत्तर प्रदेश में भारत में सबसे ज़्यादा आउट ऑफ स्कूल बच्चे हैं। विशेष रूप से SC/ST, ग्रामीण इलाकों और मुस्लिम समुदायों में यह संख्या अधिक है, जो इस मिशन को यूपी के लिए बेहद महत्वपूर्ण बनाता है।

शिक्षा के क्षेत्र में यूपी की उपलब्धियां

उत्तर प्रदेश ने सेकेंडरी से सीनियर सेकेंडरी तक 76.7% का ट्रांज़िशन रेट दर्ज किया है, जो राष्ट्रीय औसत से अधिक है। हालांकि, शिक्षकों और लैब सुविधाओं की कमी अभी भी एक चुनौती बनी हुई है, जिस पर सरकार ध्यान दे रही है।

निष्कर्ष:

यूपी सरकार की यह महत्वाकांक्षी योजना न केवल बच्चों को पढ़ाई में वापस लाएगी, बल्कि समाज को भी एक नई दिशा देगी। शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 को जमीनी हकीकत में लागू करने और हर बच्चे तक शिक्षा पहुंचाने का लक्ष्य इस मिशन का आधार है, खासकर हाशिये पर पड़े समुदायों के बच्चों के लिए। यह कदम निश्चित रूप से उत्तर प्रदेश के शैक्षिक परिदृश्य में एक बड़ा बदलाव लाएगा।

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