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भारत में मुस्लिम जनसंख्या विस्फोट: क्या मुस्लिम आबादी हिंदू आबादी को पछाड़ लेगी?

भारत में मुस्लिम जनसंख्या विस्फोट: क्या मुस्लिम आबादी हिंदू आबादी को पछाड़ लेगी?

भारत में मुस्लिम जनसंख्या विस्फोट: क्या मुस्लिम आबादी हिंदू आबादी को पछाड़ लेगी?

भारत में मुस्लिम जनसंख्या विस्फोट: क्या मुस्लिम आबादी हिंदू आबादी को पछाड़ लेगी?

भारत में मुस्लिम जनसंख्या विस्फोट: बेरोजगारी, महंगाई, विकास ये सब देश के मुद्दे और चुनावी मुद्दे भी इसके अलावा कुछ मुद्दे ऐसे भी होते हैं जो देश के मुद्दे तो होते हैं लेकिन चुनावी मुद्दे नहीं बन पाते और तीसरी कैटेगरी में ऐसे मुद्दे आते हैं जो सिर्फ चुनावों में मुखरित होते हैं।

क्या मुस्लिम आबादी का मुद्दा इसी तीसरी कैटेगरी में आता है, हम निश्चित तौर पर तो नहीं कह सकते लेकिन हर बार यह चुनावी मुद्दा बनता है और जाहिर है इस बार भी बनना ही था पॉलिटिकल पार्टियों ने अपनी पॉलिटिक्स के हिसाब से अपने-अपने तर्क और पक्ष चुन लिए हैं।

आंकड़े बयां करते हैं: क्या भारत 2050 तक सबसे बड़ी मुस्लिम आबादी वाला देश बन जाएगा?

जनता लोकतंत्र की बुनियाद है और हम चाहते हैं जनता को यानी हमारे पाठकों को इससे जुड़े जितने संभव हो सके उतने फैक्ट्स से वाकिफ करवाएं, तो आज आसान भाषा में हम आपको बताएंगे भारत में मुस्लिमों की आबादी में पिछले 70 सालों में क्या बदलाव हुए हैं और भारत सरकार और प्राइवेट संस्थानों के सर्वे मुस्लिम आबादी को लेकर क्या कहते हैं।

सबसे पहले जानते हैं, आबादी की ग्रोथ का कैसे पता चलता है?

आबादी की ग्रोथ का विश्लेषण करने के दो तरीके हैं: पहला है मैक्रो लेवल, दूसरा है माइक्रो लेवल

सबसे पहले शुरुआत मैक्रो लेवल से करते हैं

इन आंकड़ों के हिसाब से एक दशक में मुस्लिम आबादी के बढ़ने का रेट बाकी धर्मों के मुकाबले ज्यादा है। लेकिन इसमें एक पेच है। जैसा कहते हैं ना डेविल लाइज इन डिटेल्स मुस्लिम समुदाय की आबादी के ग्रोथ रेट को समझने के लिए हमें पूरे ट्रेंड को देखना होगा।

इस पूरे ट्रेंड में एक चीज पर आप गौर कर सकते हैं मुस्लिम आबादी का ग्रोथ रेट देश में सबसे ज्यादा है, लेकिन पिछले दो दशकों में ग्रोथ रेट कम होता जा रहा है

अब कुल आबादी के आंकड़ों को भी देख लेते हैं

यह सब आंकड़े मुस्लिम आबादी की ग्रोथ रेट के बारे में हम एक मोटा माटी तस्वीर दिखाते हैं लेकिन यह तस्वीर अभी भी अधूरी है हमने आपको बताया था कि आबादी की ग्रोथ का विश्लेषण मैक्रो और माइक्रो दो लेवल्स पर होता है अभी तक हमने मैक्रो लेवल की बात की।

अब आपको बताते हैं कि माइक्रो लेवल पर आंकड़े क्या कहते हैं

फर्टिलिटी रेट यानी औसतन एक महिला अपने जीवनकाल में कितने बच्चों को जन्म देती है है आबादी को कांस्टेंट रखने के लिए फर्टिलिटी रेट 2.1 होना चाहिए। यानी एक महिला अपने प्रजनन की उम्र में दो बच्चों को जन्म दे, हम दो और हमारे दो इसीलिए 2.1 को रिप्लेसमेंट रेट भी कहते हैं और इसे एक अच्छा फर्टिलिटी रेट माना जाता है।

अब आप कहेंगे कोई महिला 2.1 बच्चे कैसे पैदा कर सकती है ये डाटा ऐसा इस वजह से दिख रहा है क्योंकि ये औसत है इसलिए इसकी संख्या दशमलव में है जैसे मान लीजिए किसी ए नाम की महिला के तीन बच्चे हैं और बी नाम की महिला के चार बच्चे हैं ऐसे में इन दोनों का औसत तो 3.5 आएगा औसत से आपको एक अंदाजा मिल जाता है।

2.1 की बात इसलिए की गई क्योंकि कुछ बच्चों का पैदा होने के साथ ही देहांत हो जाता है तो उस बात को ध्यान में रखकर 2.1 का औसत निकाला गया है। अब डटा पर वापस आते हैं इसको भी एक चार्ट की मदद से समझते हैं जिससे तुलना करने में आसानी होगी

2024 में भारत में मुस्लिम जनसंख्या: Census और Pew Research Center दोनों के अनुसार

2050 तक भारत में किस समुदाय की होगी सबसे अधिक आबादी?

ट्रेंड के हिसाब से देखें तो अभी भी मुस्लिम महिलाओं का फर्टिलिटी रेट, देश के एवरेज से ज्यादा है लेकिन इसमें पिछले कुछ दशकों में काफी कमी आई है। अब सवाल यह कि ऐसा क्यों है?

शिक्षा और प्रजनन दर:

विशेषज्ञों का मानना है किसी भी समुदाय में शिक्षा का फर्टिलिटी रेट पर असर पड़ता है, अगर शिक्षा का स्तर जितना अच्छा होगा लोग उतने ही बेहतर तरीके से फैमिली प्लानिंग कर पाएंगे और फर्टिलिटी रेट भी कम होगा।

समुदाय में शिक्षा दर में वृद्धि और प्रजनन दर में गिरावट की प्रवृत्ति देखी जा रही है।

नोट:- हालांकि पिछले दशकों के मुकाबले मुस्लिम जनसंख्या की ग्रोथ में कमी आई हैं, भारत सरकार के पांचवें नेशनल फैमिली हाउसहोल्ड सर्वे के मुताबिक मुस्लिम आबादी फैमिली प्लानिंग को लेकर काफी सजग हो रही है।

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