लोकपाल क्या है? जानिए लोकपाल की नियुक्ति कौन करता है?
हाल ही में सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश ए.एम. खानविलकर को लोकपाल का अध्यक्ष नियुक्त किया गया है, जबकि उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश लिंगप्पा नारायण स्वामी, संजय यादव और ऋतुराज अवस्थी को लोकपाल के न्यायिक सदस्य के रूप में नियुक्त किया गया है, बता दें कि 27 मई, 2022 को न्यायमूर्ति पिनाकी चंद्रघोष का कार्यकाल पूरा होने के बाद से लोकपाल अपने नियमित प्रमुख के बिना कार्यरत है
लोकपाल क्या है? लोकपाल बिल क्या है
परिचयः- लोकपाल व लोकायुक्त अधिनियम, 2013 में संघ के लिये लोकपाल और राज्यों के लिये लोकायुक्त की स्थापना का प्रावधान है, ये संस्था बिना किसी संवैधानिक स्थिति के वैधानिक निकाय हैं,’लोकपाल’ वो अधिकारी या व्यक्ति होते हैं, जो कुछ लोक पदाधिकारियों के विरुद्ध भ्रष्टाचार के आरोपों और संबंधित मामलों की जाँच करते हैं , केंद्र में लोकपाल और राज्यों में लोकायुक्त की स्थापना का प्रावधान करता है।
लोकपाल की संरचना:- लोकपाल एक बहु-सदस्यीय निकाय है, जिसमें एक अध्यक्ष और अधिकतम 8 सदस्य होते हैं , लोकपाल का अध्यक्ष वह होता है, जो- या तो भारत का पूर्व मुख्य न्यायाधीश हो, या उच्चतम न्यायालय का पूर्व न्यायाधीश, या निदर्दोष सत्यनिष्ठा और उत्कृष्ट क्षमता वाला एक प्रतिष्ठित व्यक्ति, जिसके पास भ्रष्टाचार विरोधी नीति, लोक प्रशासन, सतर्कता, बीमा और बैंकिंग, कानून और प्रबंधन सहित वित्त से संबंधित मामलों में न्यूनतम 25 वर्षों का विशेष अनुभव और विशेषज्ञता हो, अधिकतम आठ सदस्यों में से आधे न्यायिक सदस्य होंगे और न्यूनतम 50% सदस्य SC/ ST/OBC/ अल्पसंख्यक और महिलाएं होंगी, लोकपाल का न्यायिक सदस्य या तो सर्वोच्च न्यायालय का पूर्व न्यायाधीश या उच्च न्यायालय का पूर्व मुख्य न्यायाधीश हो, गैर-न्यायिक सदस्य को निर्दोष सत्यनिष्ठा और उत्कृष्ट क्षमता वाला एक प्रतिष्ठित व्यक्ति होना चाहिये। लोकपाल के अध्यक्ष और सदस्यों का कार्यकाल 5 वर्ष या 70 वर्ष की आयु तक होता है।
‘चयन समिति’ और ‘खोज समिति’ का परिचय:- लोकपाल के सदस्यों और अध्यक्ष की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा एक चयन समिति की सिफारिश पर की जाती है। गैर-न्यायिक सदस्य को निर्दोष सत्यनिष्ठा और उत्कृष्ट क्षमता वाला एक प्रतिष्ठित व्यक्ति होना चाहिये
लोकपाल का कार्यकाल:-
लोकपाल के अध्यक्ष और सदस्यों का कार्यकाल 5 वर्ष या 70 वर्ष की आयु तक होता है, लोकपाल के सदस्यों और अध्यक्ष की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा एक चयन समिति की सिफारिश पर की जाती है।
लोकपाल चयन समिति निम्न से मिलकर बनी होती है –
- प्रधानमंत्री (जो अध्यक्ष होता है)
- लोकसभा अध्यक्ष,
- लोकसभा में विपक्ष का नेता,
- भारत का मुख्य न्यायाधीश या उनके द्वारा नामित न्यायाधीश
- और एक प्रख्यात न्यायविद्
- अध्यक्ष और सदस्यों के चयन के लिये चयन समिति कम- से-कम आठ व्यक्तियों का एक सर्च पैनल गठित करती है।
- वर्ष 2013 के लोकपाल अधिनियम के तहत, कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (DOPT) को लोकपाल के अध्यक्ष या सदस्य बनने में रुचि रखने वाले उम्मीदवारों की एक सूची तैयार करनी होती है।
- इसके बाद यह सूची प्रस्तावित आठ सदस्यीय खोज समिति के पास जाएगी, जो नामों को शॉर्टलिस्ट करेगी और उन्हें प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाले चयन पैनल के समक्ष रखेगी।
लोकपाल का अधिकार क्षेत्र और शक्तिया, लोकपाल के कार्य
- लोकपाल के अधिकार क्षेत्र में प्रधानमंत्री, मंत्री, संसद सदस्य, समूह A, B, C और D अधिकारी तथा केंद्र सरकार के अधिकारी शामिल हैं।
- इसे प्रधानमंत्री, अंतर्राष्ट्रीय संबंध, सुरक्षा, सार्वजनिक व्यवस्था, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष से संबंधित मामलों में भ्रष्टाचार के आरोपों से बाहर रखा गया है
- संसद में कही गई किसी बात या वहाँ दिये गए वोट के मामले में लोकपाल के पास मंत्रियों और सांसदों पर अधिकार नहीं है
- इसके पास CBI को निर्देश देने की शक्तियाँ हैं
- इसके इन्क्वायरी विंग को सिविल कोर्ट की शक्तियाँ प्रदान की गई हैं
- लोकपाल के पास विशेष परिस्थितियों में भ्रष्टाचार के माध्यम से उत्पन्न या प्राप्त की गई संपत्तियों, आय, प्राप्तियों और लाभों को जब्त करने का अधिकार हैं
- लोकपाल के पास भ्रष्टाचार के आरोप से संबंधित लोक सेवक के स्थानांतरण या निलंबन की सिफारिश करने की शक्ति हैं
- सभी लोक सेवकों के विरुद्ध कार्रवाई कर सकता है।
- वह किसी निजी व्यक्ति द्वारा की गई शिकायत की भी जांच कर सकता है।
- वह दोषी लोक सेवकों के विरुद्ध निर्णय ले सकता है।
- वह अपने निष्कर्षों को कार्रवाई में लागू करने की सिफारिश कर सकता है।
लोकपाल की नियुक्ति कौन करता है राष्ट्रपति
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