भारत का पहला समुंद्रयान मिशन मत्स्य 6000
चन्द्रमा एवं सूर्य की दिशा में अध्ययन एवं अनुसंधान के लिए कदम बढ़ाने के पश्चात् अब गहरे समुद्र में भी संसाधनों एवं जैव विविधता के सम्बन्ध में अध्ययन भारतीय वैज्ञानिकों द्वारा किए जा रहे हैं. इस दिशा में कदम बढ़ाते हुए समुद्र में 6000 मीटर की गहराई तक समुद्रयान भेजने की भू-विज्ञान मंत्रालय की योजना है. इस समुद्रयान (पनडुब्बी) को मत्स्य-6000 नाम दिया गया है. इसका निर्माण चेन्नई स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ओशन टेक्नोलॉजी (NIOT) द्वारा किया जा रहा है.
भू-विज्ञान मंत्री श्री किरेन रिजिजू ने 11 सितम्बर, 2023 को इस इंस्टीट्यूट का दौरा करने के पश्चात् परियोजना की जानकारी देते हुए बताया कि गहरे समुद्र में स्रोतों एवं जैव-विविधता के अध्ययन के लिए तीन लोगों को मत्स्य-6000 के जरिए गहरे समुद्र में भेजा जाएगा. गहरे समुद्र में निकिल व कोबाल्ट जैसे कई दुर्लभ खनिज उपलब्ध होने का वैज्ञानिकों का अनुमान है. उन्होंने बताया कि इस प्रोजेक्ट के कारण समुद्री इकोसिस्टम पर कोई बुरा असर नहीं पड़ेगा. यह एक डीप ओशन मिशन है, जिसे ब्लू इकोनॉमी को विकसित करने के लिए किया जा रहा है. इस मिशन के जरिए समुद्र के बारे में जानकारी मिलेगी, उससे रोजगार के अवसर बढ़ेंगे. क्योंकि इस प्रक्रिया में समुद्री संसाधनों का उपयोग किया जाएगा. समुद्रयान (मत्स्य-6000) की लाँचिंग 2026 में सम्भावित है.