‘Hum Do Hamare 12’ Movie Poster Controversy: What’s the Issue?
बॉलीवुड फिल्म ‘हम दो हमारे 12’ हाल ही में अपने पोस्टर और ट्रेलर के कारण सुर्खियों में है। फिल्म के पोस्टर ने एक धार्मिक समुदाय को टारगेट करने के आरोपों के चलते विवाद खड़ा कर दिया है। इस लेख में हम पोस्टर से जुड़े विवाद, ट्रेलर की सामग्री, और इसके व्यापक सामाजिक और राजनीतिक संदर्भ को विस्तार से समझेंगे।
Movie Poster Controversy: मुख्य कारण
पोस्टर में क्या दिखाया गया है?
फिल्म के पोस्टर में एक मुस्लिम जोड़े को उनके 10 बच्चों के साथ दिखाया गया है। महिला को गर्भवती दिखाया गया है और उसके गोद में एक और बच्चा है। इस चित्रण के कारण यह आरोप लगाया गया है कि फिल्म एक विशेष समुदाय को अधिक जनसंख्या के लिए दोषी ठहराने की कोशिश कर रही है।
Social Media पर प्रतिक्रिया
पोस्टर जारी होते ही सोशल मीडिया पर यह वायरल हो गया। कई लोगों ने इसे एक धर्म विशेष को बदनाम करने का प्रयास बताया। वहीं, कुछ लोगों ने इसे पब्लिसिटी स्टंट करार दिया।
Population and Fertility Rate: क्या है वास्तविकता?
आबादी का धर्म से संबंध?
कई रिपोर्ट्स से यह साफ हो चुका है कि भारत की बढ़ती जनसंख्या का सीधा संबंध अशिक्षा और गरीबी से है, न कि किसी विशेष धर्म से।
- लक्षद्वीप और केरल: इन क्षेत्रों में मुसलमानों की आबादी अधिक होने के बावजूद फर्टिलिटी रेट काफी कम है। इसका कारण है यहां की महिलाओं की बेहतर शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाएं।
- बिहार और उत्तर प्रदेश: इन राज्यों में शिक्षा और जागरूकता की कमी के चलते फर्टिलिटी रेट अधिक है, चाहे परिवार हिंदू हो या मुस्लिम।
Fertility Rate और महिलाओं की शिक्षा का प्रभाव
जहां महिलाओं की शिक्षा का स्तर ऊंचा होता है, वहां फर्टिलिटी रेट स्वाभाविक रूप से कम हो जाता है। बेहतर शिक्षा महिलाओं को अपने स्वास्थ्य और परिवार नियोजन के प्रति जागरूक बनाती है।
Movie Trailer Controversy: विवाद का दूसरा पक्ष
ट्रेलर की शुरुआत
फिल्म के ट्रेलर में एक मौलाना को दिखाया गया है, जो कुरान की एक आयत का हवाला देते हैं।
- यह दिखाने की कोशिश की गई है कि इस्लाम में महिलाओं के अधिकारों की अनदेखी होती है।
- फिल्म में महिलाओं को केवल “बच्चे पैदा करने की मशीन” के रूप में प्रस्तुत करने का प्रयास किया गया है।
Quran की आयत को Out of Context दिखाना
सूरा बकरा 223 की आयत का संदर्भ देकर यह दिखाया गया है कि मुस्लिम पुरुष अपनी पत्नी के साथ जैसा चाहें वैसा व्यवहार कर सकते हैं।
- आयत का सही मतलब:
इस आयत का संदर्भ बच्चों के सही पालन-पोषण और परिवार नियोजन से है, न कि महिलाओं पर अत्याचार का। - संपूर्ण संदर्भ को नजरअंदाज करना:
फिल्म निर्माताओं ने आयत 222 को पूरी तरह से हटा दिया, जिसमें महिलाओं के स्वास्थ्य और सम्मान का विशेष उल्लेख है।
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धार्मिक भावनाओं का व्यावसायिक उपयोग
पिछले कुछ वर्षों में बॉलीवुड में धर्म आधारित फिल्मों का चलन बढ़ा है। यह देखा गया है कि जब किसी फिल्म के निर्माताओं को सफलता नहीं मिलती, तो वे धर्म और समुदाय से जुड़े मुद्दों पर फिल्में बनाकर पब्लिसिटी पाने की कोशिश करते हैं।
Audience को प्रभावित करने की रणनीति
ऐसी फिल्मों के जरिए दर्शकों को भावनात्मक रूप से उकसाया जाता है।
- किसी विशेष समुदाय को निशाना बनाकर विवाद खड़ा करना।
- सोशल मीडिया पर चर्चा को बढ़ावा देना, जिससे फिल्म को ज्यादा व्यूअरशिप मिल सके।
Legal Actions and Audience Reactions
कानूनी कार्रवाई की संभावना
फिल्म के खिलाफ कानूनी कार्रवाई हो सकती है, खासकर कुरान की आयत को गलत तरीके से पेश करने के लिए। भारत में धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने पर सख्त कानून हैं।
दर्शकों की प्रतिक्रिया
सोशल मीडिया पर दर्शक इस फिल्म को लेकर दो धड़ों में बंटे हुए हैं।
- एक पक्ष का कहना है कि यह फिल्म अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का उदाहरण है।
- दूसरा पक्ष इसे समुदाय विशेष को बदनाम करने का प्रयास मानता है।
‘हम दो हमारे 12’ मूवी का प्रभाव और निष्कर्ष
सोशल मीडिया की भूमिका
फिल्म का विवादित पोस्टर और ट्रेलर सोशल मीडिया पर चर्चा का केंद्र बन गया है। इससे फिल्म को पब्लिसिटी तो मिली, लेकिन इससे जुड़े नैतिक और सामाजिक सवाल भी खड़े हुए।
भविष्य में इसका असर
यह देखना दिलचस्प होगा कि यह फिल्म बॉक्स ऑफिस पर कैसा प्रदर्शन करती है और इसके खिलाफ उठाए गए कानूनी कदम क्या परिणाम लाते हैं।
‘हम दो हमारे 12’ का पोस्टर और ट्रेलर विवाद का कारण बन चुके हैं। इस विवाद से फिल्म को पब्लिसिटी जरूर मिली है, लेकिन यह देखना दिलचस्प होगा कि बॉक्स ऑफिस पर इसका प्रदर्शन कैसा रहता है।