Famous personalities of Uttar Pradesh: उत्तर प्रदेश 50 महान व्यक्तित्व का परिचय
उत्तर प्रदेश के 50 प्रसिद्ध व्यक्तित्व
उत्तर प्रदेश, भारत का सबसे अधिक जनसंख्या वाला राज्य, केवल सांस्कृतिक विविधता का प्रतीक नहीं है, बल्कि यह महान व्यक्तियों की भूमि भी है। राजनीति, साहित्य, संगीत, और स्वतंत्रता संग्राम में यहाँ के व्यक्तियों का अद्वितीय योगदान है। इस लेख में, हम उत्तर प्रदेश के 50 महान व्यक्तियों के जीवन परिचय और उनके योगदान की चर्चा करेंगे।
उत्तर प्रदेश के 50 प्रमुख व्यक्तित्व जिनके बारे में जानकर आप रह जाएंगे दंग!
उत्तर प्रदेश भारत का एक ऐसा राज्य है जिसने कई महान हस्तियों को जन्म दिया है। यहाँ की संस्कृति, राजनीति, कला और साहित्य में योगदान देने वाले व्यक्तियों का नाम देशभर में प्रसिद्ध है। इस लेख में हम उत्तर प्रदेश के कुछ प्रसिद्ध व्यक्तियों के बारे में जानेंगे जिन्होंने अपने क्षेत्रों में उत्कृष्टता प्राप्त की है।
List of 50 Famous personalities of Uttar Pradesh
Nawazuddin Siddiqui (नवाज़ुद्दीन सिद्दीकी)
नवाज़ुद्दीन सिद्दीकी, बॉलीवुड के जाने-माने अभिनेता, उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जिले के एक छोटे से गाँव से आते हैं। उन्होंने अपनी उत्कृष्ट अभिनय क्षमता से हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में खास पहचान बनाई है। नवाज़ुद्दीन ने अपनी लगन और कड़ी मेहनत से खुद को साबित किया है, और वे एक प्रेरणादायक व्यक्तित्व हैं।
Bāṇabhaṭṭa (बाणभट्ट)
बाणभट्ट प्राचीन भारत के प्रसिद्ध संस्कृत लेखक और कवि थे। वे उत्तर प्रदेश के कान्यकुब्ज (कन्नौज) से संबंध रखते थे। उनकी रचनाएँ जैसे ‘हर्षचरित’ और ‘कादंबरी’ आज भी साहित्यिक जगत में प्रसिद्ध हैं। बाणभट्ट को संस्कृत साहित्य का महान रत्न माना जाता है।
Atal Bihari Vajpayee (अटल बिहारी वाजपेयी): आगरा जिले के महान व्यक्तित्व
अटल बिहारी वाजपेयी, भारतीय राजनीति के एक प्रमुख स्तंभ थे। वे उत्तर प्रदेश के आगरा जिले से संबंध रखते थे। वाजपेयी जी ने तीन बार भारत के प्रधानमंत्री का पद संभाला और अपनी नेतृत्व क्षमता से देश को नई दिशा दी। वे एक महान नेता, कवि, और वक्ता के रूप में सदैव स्मरणीय रहेंगे।
Captain Manoj Kumar Pandey (कैप्टन मनोज कुमार पांडे)
कैप्टन मनोज कुमार पांडे, परमवीर चक्र से सम्मानित भारतीय सेना के वीर योद्धा थे। वे उत्तर प्रदेश के सीतापुर जिले से थे। 1999 के कारगिल युद्ध में उनकी वीरता और साहस के लिए उन्हें यह सर्वोच्च सैन्य सम्मान दिया गया। उनकी वीरता और बलिदान की गाथा आज भी हर भारतीय को गर्व महसूस कराती है।
Bharat Bhushan (भारत भूषण)
भारत भूषण, हिंदी सिनेमा के प्रसिद्ध अभिनेता, उत्तर प्रदेश के मेरठ जिले से थे। वे अपनी उत्कृष्ट अभिनय प्रतिभा के लिए जाने जाते थे और उन्होंने अनेक सुपरहिट फिल्मों में काम किया। उनके अभिनय का सफर सिनेमा प्रेमियों के दिलों में सदैव जीवित रहेगा।
Ustad Bismillah Khan (उस्ताद बिस्मिल्लाह खाँ)
उस्ताद बिस्मिल्लाह खाँ, विश्वप्रसिद्ध शहनाई वादक, उत्तर प्रदेश के डुमरांव से थे। उन्होंने शहनाई को विश्वस्तर पर पहचान दिलाई और भारतीय संगीत को नया आयाम दिया। उस्ताद बिस्मिल्लाह खाँ का संगीत में योगदान सदैव अविस्मरणीय रहेगा।
Mirza Ghalib (मिर्ज़ा ग़ालिब)
मिर्ज़ा ग़ालिब, भारतीय उपमहाद्वीप के प्रसिद्ध शायर थे। उनका असली नाम मिर्ज़ा बेग असदुल्लाह खाँ था। वे उत्तर प्रदेश के आगरा से थे। ग़ालिब की शायरी में अद्वितीय भावनाएँ और गहरी सोच शामिल होती थी, जिसने उन्हें शायरी की दुनिया में अमर बना दिया।
जियाउद्दीन बरनीः
- जियाउद्दीन बरनी का जन्म 1285 ई० में बुलन्दशहर के बरन नामक स्थान पर हुआ था। इसीलिए वह अपने नाम के बाद बरनी लिखते थे।
- जियाउद्दीन बरनी अमीर खुसरो के मित्र और निजामुद्दीन औलिया के शिष्य थे।
- जियाउद्दीन बरनी दिल्ली सल्तनत के मुहम्मद बिन तुगलक और फिरोजशाह तुगलक के समय में एक इतिहासकार एवं राजनीतिक विचारक थे।
- जियाउद्दीन बरनी की प्रमुख रचनाएंः तारिक-ए-फिरोजशाही तथा फतवा-ए-जहांदरी है।
- बरनी की मृत्यु 1357 ई० में हुई।
हजरत निजामुद्दीन औलियाः
- इनका जन्म 1236 ई० में प्रदेश के बदायूं जिले में हुआ था।
- निजामुद्दीन औलिया को महबूब-ए-इलाही तथा सुल्तान-उल-औलिया की उपधियाँ दी गयी थी।
- वह चिश्तिया सिलसिले के चौथे सूफी संत थे।
- निजामुद्दीन औलिया बाबा फरीद के शिष्य थे।
- शेख नसिरूद्दीन चिराग-ए-देहली, जियाउद्दीन बरनी तथा अमीर खुसरो, निजामुद्दीन औलिया के शिष्य थे।
- निजामुद्दीन औलिया की मृत्यु 1325 में हुई।
- निजामुद्दीन औलिया की दरगाह दिल्ली में स्थित है।
अमीर खुसरोः कासगंज जिले के महान व्यक्तित्व
- अमीर खुसरो जिनको ‘तोता-ए-हिन्द’ के नाम से भी जानते है, का जन्म 1253 ई० में पटियाली, कासगंज में हुआ था।
- इनका वास्तविक नाम अबुल हसन यमीनुद्दीन खुसरो था।
- अमीर खुसरो फारसी के कवि एवं इतिहासकार थे।
- खड़ी बोली के आविष्कार का श्रेय भी अमीर खुसरो को ही दिया जाता है।
- सर्वप्रथम अमीर खुसरो ने ही ‘हिन्द्वी’ शब्द का उल्लेख किया।
- इन्होंने अपनी रचनाओं में हिन्दी एवं फारसी का उपयोग किया है।
- इनकी प्रमुख रचनाएंः तुगलकनामा, किरानुस्सादैन, खजाइ उल फुतूह, नुह-ए-सिपहर तथा देवलरानी-खिज्र खाँ आदि है।
- अमीर खुसरो ने दिल्ली के 8 सुल्तानों का शासनकाल देखा था।
- अमीर खुसरो की मृत्यु 1325 ई० में हुई।
राजा टोडरमलः
- राजा टोडरमल का जन्म सीतापुर जिले के लहरपुर गाँव में 1503 ई० में हुआ था|
- राजा टोडरमल की मृत्यु 1589 ई० में लाहौर में हुई।
- टोडरमल, अकबर के नवरत्नों में से एक थे।
- इससे पहले टोडरमल, शेरशाह सूरी के दरबार में भू-अभिलेख मंत्री थे।
- अकबर के वित्तमंत्री के रूप में टोडरमल ने आईन-ए-दहसाला एक कृषि राजस्व प्रणाली आरम्भ की थी।
बीरबलः जालौन जिले के महान व्यक्तित्व
- बीरबल का जन्म 1528 ई० में जालौन जिले के काल्पी में एक ब्राह्मण परिवार में महेश दास के रूप में हुआ था।
- पश्तून के युसूफ जाइयों के साथ पश्चिमोत्तर के एक युद्ध में 1586 ई० में बीरबल की मृत्यु हो गई थी।
- बीरबल, अकबर के नवरत्नों में से एक थे साथ ही अकबर द्वारा चलाए गए धर्म दीन-ए-इलाही को स्वीकार करने वाले पहले व्यक्ति थे।
- बादशाह अकबर ने इन्हें कविराज की उपाधि प्रदान की थी।
शेख फैज़ीः
- इनका जन्म 1547 ई० में आगरा में हुआ था।
- इनकी मृत्यु 1595 ई० में हुई।
- फैज़ी अकबर के नवरतनो में से एक है।
- फैज़ी का पूरा नाम ‘शेख अबु अल फैज़’ था।
- शेख फैज़ी, अबुल फजल के बड़े भाई थे।
- फैज़ी ने भास्कराचार्य द्वारा संस्कृत भाषा में रचित गणित के सुप्रसिद्ध ग्रन्थ ‘लीलावती’ का फारसी में अनुवाद किया।
अबुल फजलः
- अबुल फजल का जन्म 1550 ई० में आगरा में हुआ था।
- दक्षिण से आगरा आते समय 1602 ई० में वीर सिंह देव ने आंतरी, मध्यप्रदेश में उनकी हत्या कर दी थी।
- अबुलफजल का पूरा नाम अबुल फजल इब्न मुबारक था।
- अबुल फजल शेख मुबारक का पुत्र एवं फैजी का छोटा भाई था।
- अबुल फजल अकबर के दरबार में नवरत्नों में से एक था।
- अबुल फजल तुर्की, फारसी, अरबी, संस्कृत एवं हिन्दी का ज्ञाता था।
- अबुल फजल की प्रमुख रचनाएं: अकबरनामा तथा आइने अकबरी है।
- नोटः अकबरनामा फारसी में लिखी गई थी इसमें तीसरे खण्ड को आइने अकबरी कहते हैं।
मलिक मोहम्मद जायसीः
- मलिक मोहम्मद जायसी का जन्म 1492 में जायस, अमेठी के निकट उत्तर प्रदेश में हुआ था।
- इनकी प्रमुख रचनाएं: पद्मावत, अखरावट, आखरी कलाम, कहरनामा तथा चित्ररेखा आदि है।
रानी लक्ष्मीबाईः
- वीरांगना रानी लक्ष्मीबाई का जन्म 1828 ई० में वाराणसी में हुआ था।
- 18 जून 1858 को रानी लक्ष्मीबाई ग्वालियर में वीरगति को प्राप्त हुई।
- इनका बचपन का नाम मणिकर्णिका था।
- इनके पिता का नाम मोरोपंत तांबे तथा माता का नाम भागीरथी सापरे था।
- इनका विवाह 1842 ई० में झांसी के राजा गंगाधर राव निवालकर से हुआ था। तभी से इनका नाम झांसी की रानी पड़ा।
- अपने पुत्र की मृत्यु के पश्चात् इन्होंने एक पुत्र गोद लिया। अपने दत्तक पुत्र का नाम इन्होंने दामोदर राव रखा।
- ब्रिटिश इंडिया के गवर्नर जनरल डलहौजी की राज्य हड़प नीति के अन्तर्गत अंग्रेजों ने दत्तक पुत्र को उत्तराधिकारी मानने से इंकार कर दिया और ‘डॉक्ट्रिन ऑफ लेप्स’ नीति के तहत 7 मार्च 1854 को झांसी का ब्रिटिश राज्य में विलय कर लिया।
तात्या टोपेः
- तात्या टोपे का जन्म सन 1814 ई० में नासिक (महाराष्ट्र) के येवला नामक गाँव में हुआ था।
- 18 अप्रैल 1859 को तात्या टोपे को मध्यप्रदेश के शिवपुरी में फांसी दी गई।
- इनका मूल नाम रामचन्द्र पाण्डुरंग येवलकर था।
- इनके पिता का नाम पांडुरंग राव तथा माता का नाम रूकमा बाई था।
- इनके पिता पांडुरंग राव बिठूर के पेशवा मराठा बाजीराव द्वितीय के दरबार में थे।
- यहीं इनका पालन पोषण नाना साहब तथा मणिकर्णिका के साथ हुआ था।
- तात्या टोपे के नेतृत्व में नाना साहब की सेना ने अंग्रेजों से खूब संघर्ष किया। 1857 की क्रान्ति में बिठूर, झांसी तथा काल्पी आदि स्थानों पर उन्होंने भयंकर युद्ध किया।
- नरवर के राजा मानसिंह ने 7 अप्रैल 1859 को इन्हें गिरफ्तार करके अंग्रेजों को सौंप दिया गया।
नाना साहबः
- पेशवा बाजीराव द्वितीय के पुत्र नाना साहब का जन्म 1824 ई० में बिठूर में हुआ था।
- इनके पिता का नाम माधवनारायण भट्ट तथा माता का नाम गंगाबाई था।
- नाना साहब का प्रारम्भिक नाम गोविंद था। कानपुर में 1857 की क्रांति का नेतृत्व नाना साहब ने ही किया था।
- तात्या टोपे इनके सेनापति थे। 1857 की क्रांति में ब्रिटिश हुकूमत ने नाना साहब पर 1 लाख रुपये का ईनाम रखा था।
- 1857 की क्रान्ति के विफल होने के बाद नाना साहब नेपाल चले गए थे।
बेगम हजरत महलः
- ‘अवध की बेगम’ नाम से प्रसिद्ध बेगम हजरत महल का जन्म अवध प्रान्त के फैजाबाद (वर्तमानः अयोध्या) जिले में 1820 ई० में हुआ था।
- वहीं 7 अप्रैल 1879 ई० को उनकी मृत्यु हो गई।
- इनका वास्तविक नाम मुहम्मदी खानम था। इन्हें महक परी के नाम से भी जाना जाता था।
- बेगम हजरत महल अवध के नवाब वाजिद अली शाह की पत्नी थी।
- बेगम हजरत महल ने अपने नाबालिग पुत्र बिरजिस क़द्र
को गद्दी पर बैठाकर लखनऊ से 1857 की क्रांति का नेतृत्वक था। - अवध पर अंग्रेजों का कब्जा होने के पश्चात हजरत महल अश पुत्र के साथ नेपाल चली गईं।
अजीजन बेगमः
- अजीजन बेगम का जन्म 1832 ई० में लखनऊ में हुआ था।
- अजीजन बेगम कानपुर में पेशेवर नर्तकी का कार्य करती थीं।
- परन्तु देशप्रेम की भावना ने इन्हें 1857 की क्रांति में कूदने पर विवश कर दिया।
- अजीजन बेगम ने क्रान्तिकारियों की बैठको में जाना आरम्य किया और वहाँ नाना साहब के आह्वान पर इन्होंने अंग्रेजों से टक्का लेने के लिए स्त्रियों का एक दल गठित किया।
- ब्रिटिश कमांडर हेनरी हैवलॉक ने गिरफ्तारी के बाद अजीजर बेगम के सामने अजीमुल्ला खां का पता बताने पर मांफी देने का प्रस्ताव रखा| प्रस्ताव को ठुकराने पर इन्हें मार दिया गया।
पं० मदन मोहन मालवीयः
- महान देशभक्त, प्रख्यात शिक्षाविद्, राजनेता, सुविख्यात पत्रकार एवं सामाज सुधारक पंडित मदन मोहन मालवीय का जन्म 25 दिसम्बर 1861 को प्रयागराज में हुआ था।
- पंडित मदन मोहन मालवीय का निधन 12 नवंबर 1946 को बनारस में हुआ था।
- इनके पिता का नाम पं. ब्रजनाथ तथा माता का नाम भूनादेवी था।
- पं. मदन मोहन मालवीय को उनकी हृदय की महानता के कारण, महात्मा गाँधी ने ‘महामना’ की उपाधि दी थी।
- इन्होंने इलाहाबाद जिला विद्यालय में अध्यापन कार्य तथा इलाहाबाद हाईकोर्ट में वकालत भी की।
- पं. मदन मोहन मालवीय भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के चार बार अध्यक्ष चुने गए।
- 1909 में लाहौर, 1918 और 1930 में दिल्ली तथा 1932 में कोलकाता में कांग्रेस के अधिवेशन के अध्यक्ष रहे 1919 में इन्होने एक अंग्रेजी अखबार द लीडर की स्थापना की।
- इन्होने लंदन में आयोजित द्वितीय गोलमेज सम्मेलन में भी भाष लिया।
- देश के लिए उनके महान योगदान को देखते हुए वर्ष 2014 में इन्हें देश के सबसे बड़े नागरिक सम्मार ‘भारत रत्न’ से अलंकृत किया गया।
मंगल पाण्डेः 1857 की क्रांति के प्रथम शहीद
- मंगल पाण्डे का जन्म 19 जुलाई 1827 को बलिय के नगवाँ नामक गाँव में हआ था।
- इनके पिता का नाम दिवाकर पाण्डे तथा माता का नाम अभयरानी था।
- 22 वर्ष की आयु में 1849 में मंगल पाण्डे ईस्ट इंडिया कंपनी की सेना में भर्ती हुए।
- पश्चिम बंगाल में बैरकपुर स्थित 34 वीं बटालियन के सैनिक थे।
- गाय व सुअर की चर्बी लगे कारतूस को मुँह से काटकर, लोड करने के विरोध में मंगल पाण्डे ने सार्जेंट मेजर ह्यूसन व लेफ्टिनेंट बॉब को गोलीमार मौत के घाट उतार दिया।
- 8 अप्रैल 1857 ई. को बैरकपुर में मंगल पांडे को फांसी दे दी गई।
- ये भारतीय स्वतन्तत्रा संग्राम के 1857 की क्रान्ति के प्रथम शहीद थे।
- इसके पश्चात 10 मई 1857 ई. को मेरठ छावनी के सैनिको ने विद्रोह कर दिया था।
रामप्रसाद बिस्मिलः काकोरी कांड के महानायक
सरफरोशी की तमन्ना, अब हमारे दिल में है, देखना है जोर कितना, बाजुएं कातिल में है। इन पंक्तियों की रचना भी रामप्रसाद बिस्मिल ने की थी।
- इनका जन्म 11 जून 1897 को शाहजहाँपुर में हुआ था।
- इनके पिता का नाम पण्डित मुरलीधर तथा माता का नाम मूलमती था।
- रामप्रसाद एक कवि, शायर, अनुवादक, इतिहासकार व साहित्यकार भी थे। वे उर्दू में बिस्मिल नाम से लिखते थे। बिस्मिल के अतिरिक्त वे राम और अज्ञात के नाम से भी लेख एवं कविताएं लिखते थे।
- रामप्रसाद बिस्मिल द्वारा लिखी कुछ प्रमुख पुस्तकेंः मैनपुरी षडयन्त्र, स्वदेशी रंग, चीनी षड्यन्त्र (चीन की राजक्रान्ति), अरविन्द घोष की कारावास कहानी, अशफाक की याद में,
- सोनाखान के अमर शहीद ‘वीर नारायण सिंह’, जनरल जार्ज वाशिंगटन तथा अमेरिका कैसे स्वाधीन हुआ?
- रामप्रसाद विस्मिल ने अक्टूबर 1924 में शचींद्रनाथ सांन्याल, योगेश चन्द्र चटर्जी तथा चन्द्रशेखर आजाद के साथ हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन की स्थापना की थी।
- 9 अगस्त 1925 के ‘काकोरी ट्रैन एक्शन’ के नायक पंडित राम प्रसाद बिस्मिल को लखनऊ के सेशन कोर्ट से फांसी की सजा सुनाई गई थी। इसके बाद इन्हें गोरखपुर जेल में 19 दिसंबर 1927 को फांसी दी गई।
चन्द्रशेखर आजादः देशभक्ति की प्रतिमूर्ति
- चन्द्रशेखर आजाद का जन्म 23 जुलाई 1906 को मध्य प्रदेश के अलीराजपुर जिले के भाभरा गाँव (वर्तमान नामः चन्द्रशेखर आजाद नगर) में हुआ था।
- मूल रूप से उनका परिवार उन्नाव जिले के बदरका गाँव से था।
- इनके पिता का नाम सीताराम तिवारी तथा माता का नाम जगरानी देवी था।
- चन्द्रशेखर आजाद मात्र 14 वर्ष की अल्प आयु में ही स्वतंत्रता संग्राम में कूद पड़े थे।
- रामप्रसाद बिस्मिल, चन्द्रशेखर आजाद को ‘क्विक सिल्वर’ कहकर पुकारते थे।
- झांसी के निकट ओरछा के जंगलों में आजाद अपने साथियों के साथ निशानेबाजी का अभ्यास करते थे।
- आजाद दूसरे क्रांतिकारियों को प्रशिक्षण देने के साथ ही पंडित हरिशंकर ब्रह्मचारी के द्दद्म नाम से बच्चों के अध्यापन का कार्य भी करते थे।
- हिन्दुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन का सदस्य बनने के बाद इन्होंने 9 अगस्त 1925 को अन्य क्रान्तिकारियों के साथ ब्रिटिश राज के खिलाफ काकोरी ट्रैन एक्शन को अंजाम दिया।
- इसके पश्चात् 1927 में बिस्मिल और 4 अन्य क्रांतिकारी साथियों के बलिदान के बाद इन्होंने उत्तर भारत की सभी क्रान्तिकारी पार्टियों को संगठित करते हुए हिन्दुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन का गठन किया।
- इन्होने भगत सिंह के साथ मिलकर सॉण्डर्स की हत्या कर लाला लाजपत राय की मौत का बदला लिया।
- 27 फरवरी 1931 ई. को प्रयागराज के अल्फ्रेड पार्क में चन्द्रशेखर आजाद ने अंग्रेजों से मुठभेड़ के दौरान स्वंय को गोली मार ली और देश के लिए शहीद हो गए।
अशफाक उल्ला खाँः हिंदू-मुस्लिम एकता के प्रतीक
- इनका जन्म शाहजहाँपुर में 22 अक्टूबर 1900 ई. को हुआ था।
- ये रामप्रसाद बिस्मिल के घनिष्ठ मित्र थे और साथ ही हिन्दुस्तान रिपब्लिकन ऐसोसिएशन के सदस्य भी थे।
- ये 9 अगस्त 1925 के काकोरी ट्रैन एक्शन में भी शामिल हुए।
- काकोरी ट्रैन एक्शन में भागीदारी के लिए अशफाक उल्ला खाँ को 19 दिसम्बर 1927 को फैजाबाद में फाँसी दे दी गई।
रोशन सिंहः
- रोशन सिंह का जन्म शाहजहांपुर के नबादा गांव में 22 जनवरी 1892 ई. को हुआ था।
- इनके पिता का नाम ठाकुर जंगी सिंह और माता का नाम कौशल्या देवी था। रोशन सिंह हिन्दुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन के सक्रिय सदस्य थे।
- यद्यपि रोशन सिंह 9 अगस्त 1925 के काकोरी ट्रैन एक्शन में शामिल नहीं थे।
- परन्तु बमरौली डकैती में इनके शामिल होने के साक्ष्य मिलने के पश्चात् अंग्रेजी हुकुमत ने इन्हें फांसी दिलवाने के लिए पूरा जोर लगा दिया।
- 19 दिसंबर 1927 को इन्हें इलाहाबाद में स्थित मलाका जेल में फांसी दे दी गई।
शिव वर्माः
- विख्यात क्रांतिकारी शिव वर्मा का जन्म 9 फरवरी 1904 को उत्तर प्रदेश के हरदोई जिले के कलौरी नामक गाँव में हुआ था।
- इनके पिता कन्हैया लाल वर्मा एक वैद्य थे।
- शिव वर्मा को कई क्रांतिकारी गतिविधियों में भाग लेने के आरोप में 1929 में गिरफ्तार कर लिया गया था|और लाहौर षड्यंत्र केस में आजीवन कारावास की सजा देकर अंडमान निकोबार द्वीप समूह की सेलुलर जेल भेज दिया गया।
- 10 जनवरी 1997 को इनका कानपुर में निधन हो गया।
भगवती चरण वोहराः
- भगवती चरण वोहरा का जन्म 15 नवंबर 1903 को आगरा में हुआ था|इनके पिता शिवचरण वोहरा लाहौर में रेलवे में कार्यरत थे।
- इनकी प्रारम्भिक शिक्षा-दीक्षा लाहौर में ही हुई।
- 13 वर्ष की अल्प आयु में ही इनका विवाह । वर्षीय दुर्गावती से कर दिया गया था।
- 1926 में ‘लाहौर’ में भगवती चरण वोहरा ने भगत सिंह के साथ मिलकर ‘नौजवान सभा’ की स्थापना की।
- भगवती चरण वोहरा काकोरी केस, लाहौर षड्यंत्र केस तथा लाला लाजपत राय को मरवाने वाले अंग्रेजी अफसर सांडर्स की हत्या में भी शामिल थे।
- इन्होंने 23 दिसबंर 1929 में इरविन की स्पेशल ट्रैन को बम से उड़ाने की कोशिश की जिसमें इरविन बच गए।
- इन्होंने गांधी जी को हिंसा का महत्व समझाने के लिए ‘फिलॉसफी ऑफ द बम’ नामक लेख लिखा।
- ये बम बनाने में काफी दक्ष थे।
- 28 मई 1930 को रावी नदी के तट पर क्रान्तिकारियों के साथ बम का परीक्षण करते हुए दुर्घटना में उनकी मृत्यु हो गई।
- पुरुषोत्तम दास टण्डनः पुरुषोत्तम दास टण्डन (भारत रत्न प्राप्त वर्ष 1961 में) का जन्म 1 अगस्त 1882 को इलाहाबाद में हुआ था।
- इनके पिता शालिग्राम टण्डन लिपिक थे। 1920 में असहयोग आन्दोलन तथा 1921 में समाज कल्याण हेतु गांधी जी के आह्रवान पर ये वकालत छोड़कर स्वतंत्रता संग्राम में कूद पड़े।
- इन्होंने असहयोग आन्दोलन, सत्याग्रह तथा लंदन गोलमेज सम्मेलन में भी भाग लिया तथा जेल भी गए।
- ये संयुक्त प्रांत (वर्तमान-उत्तर प्रदेश) की विधान सभा के 13 वर्ष (1937-50) तक अध्यक्ष रहे।
- इन्हें 1946 में संविधान सभा में भी सम्मिलित किया गया।
- ये वर्ष 1952 में लोकसभा तथा 1956 में उत्तर प्रदेश से राज्यसभा के लिए चुने गए।
- 1 जुलाई 1962 को इनकी मृत्यु हो गई।
पं. दीनदयाल उपाध्यायः
- इनका जन्म 25सितम्बर 1916 में मथुरा के नगला चंद्रभान गाँव में हुआ था।
- इनके पिता भगवती प्रसाद उपाध्याय ज्योतिष थे।
- वर्ष 1947 में पं. दीनदयाल ने राष्ट्रधर्म प्रकाशन लिमिटेड की स्थापना की जिसमें राष्ट्रधर्म, पांचजन्य व स्वदेशी नामक पत्र प्रकाशित होते थे।
- 21 अक्टूबर 1951 को डॉ० श्यामा प्रसाद मुखर्जी की अध्यक्षता में भारतीय जनसंघ की स्थापना हुई तथा पं. दीनदयाल उपाध्याय को प्रथम महासचिव नियुक्त किया गया।
- 11 फरवरी 1968 को पं. दीनदयाल उपाध्याय की रहस्यमय तरीके से मौत हो गई।
- मुगलसराय रेलवे यार्ड में उनकी लाश मिलने से पूरे देश में शोक की लहर दौड़ पड़ी।
सर सैय्यद अहमद खाँ
- सर सैय्यद अहमद खाँ का जन्म दिल्ली में हुआ था।
- 1839 ई0 में इन्होने आगरा के अंग्रेज कमिश्नर की अधीनता मे सेवा प्रारंभ की।
- मुसिलम समाज मे समाज सुधार तथा शिक्षा का प्रसार करने हेतु इन्होने (अलीगढ में मोहम्मडन ऐग्लो ओरियंटल) स्कूल की स्थापना की।
- मुसलमानो की स्थिति में सुधार लाने हेतु अलीगढ में आन्दोलन भी चलाया।
इन्दिरा गाँधी:
- भारत की एक मात्र महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी का जन्म 19 नवम्बर 1917 को हुआ।
- वे 1941 ई0 में इंग्लैण्ड से लौटने के बाद स्वतंत्रता आन्दोलन में सकिय हो गई।
- 1964 ई0 में वे राज्य सभा की सदस्य चुनी गई तथा लाल बहादुर शास्त्री की कैबिनेट में सूचना एवं प्रसारण मंत्री बनी।
राम मनोहर लोहियाः
- इनका जन्म 23 मार्च 1910 को अम्बेडकर नगर जिले के अकबरपुर गाँव में हुआ था।
- राम मनोहर लोहिया गांधी जी के व्यक्तित्व से बहुत प्रभावित हुए और जीवन पर्यन्त गांधी जी के आदर्शों का समर्थन किया।
- 18 वर्ष की आयु में वर्ष 1928 में इन्होंने साइमन कमीशन का विरोध करते हुए छात्र आन्दोलन का नेतृत्व किया।
- 1929 में कलकत्ता विश्वविद्यालय से स्नातक कर, PHD करने के लिए बर्लिन विश्वविद्यालय, चले गए।
- 1934 में इन्होंने कांग्रेस सोशलिस्ट पार्टी की स्थापना को
- 12 अक्टूबर 1967 को इन्होंने विलिंग्डन हॉस्पिटल (वर्तमार नामः डॉ. राम मनोहर लोहिया हॉस्पिटल), दिल्ली में देह त्याग दिया।
- ‘गिल्टी मैन ऑफ इण्डियाज पार्टीशन’: डॉ. राम मनोहा लोहिया की आत्मकथा है।
मोतीलाल नेहरूः
- मोतीलाल नेहरू का जन्म 6 मई 1861 को प्रयागराज में हुआ था।
- इनके पिता गंगाधर नेहरू कश्मीरी ब्राह्मण थे।
- इनकी माता का नाम इंद्राणी था।
- पं. मोतीलाल नेहरू ने इलाहाबाद हाईकोर्ट की परीक्षा में प्रथम स्थान के साथ ही स्वर्ण पदक भी प्राप्त किया।
- 1909 में मोतीलाल नेहरू उत्तर प्रदेश परिषद के सदस्य चुने गए।
- 1919 में अमृतसर में हुए जलियांवाला बाग हत्याकांड के बाद मोतीलाल नेहरू ने गाँधी जी के आह्वान पर वकालत छोड़ दी और स्वाधीनता संग्राम में कूदने का निर्णय लिया।
- मोतीलाल नेहरू ने 1919 में अमृतसर तथा 1928 में कोलकाता में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अधिवेशन की अध्यक्षता की।
- गांधीजी के द्वारा असहयोग आन्दोलन वापस लिए जाने के बाद इन्होंने चितरंजन दास के साथ मिलकर कांग्रेस खिलाफत स्वराज पार्टी की स्थापना की।
- 6 फरवरी 1931 को इनका निधन हो गया।
जंवाहरलाल नेहरूः
- भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू का जन्म 14 नवंबर 1889 को उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद में हुआं था।
- जवाहरलाल नेहरू को वर्ष 1955 में भारत रत्न से सम्मानित किया गया। 27 मई 1964 को इनका निधन हो गया।
- इनके पिता का नाम मोतीलाल नेहरू तथा माता का नाम स्वरूप रानी था।
- इनकी स्कूली शिक्षा इंग्लैण्ड के हैरो स्कूल से और कॉलेज की शिक्षा ट्रिनिटी कॉलेज, कैम्ब्रिज (लंदन) से पूर्ण हुई। 1912 में भारत लौटकर जवाहरलाल नेहरू ने वकालत आरम्भ की।
- जवाहरलाल नेहरू की पत्नी का नाम कमला तथा पुत्री का नाम इंदिरा गांधी था।
- 1920-22 के असहयोग आंदोलन के सिलसिले में इन्हें दो बार जेल जाना पड़ा था।
- जवाहरलाल नेहरू 1923 में अजित भारतीय कांग्रेस कमेटी के महासचिव बने।
- ये छः बार कांग्रेस पाटी के अध्यक्ष बने।
- (लाहौर 1929, लखनऊ 1936, फैजपुर 1937. दिल्ली 1951, हैदराबाद 1953 तथा कल्याणी 1954)।
- 1935 में अल्मोड़ा जेल में अपनी आत्मकथा ‘मेरी कहानी-एन ऑटोबायोग्राफी’ का लेखन कार्य पूर्ण किया।
- जवाहरलाल नेहरू की रचनाएँ:भारत की खोज, विश्व इतिहास की झलक, बहुरूपी गांधी
लाल बहादुर शास्त्रीः
- लाल बहादुर शास्त्री का जन्म 2 अक्टूबर 1904 को मुगलसराय में हुआ था।
- इनके पिता मुंशी शारदा प्रसाद श्रीवास्तव प्राथमिक विद्यालय में शिक्षक थे।
- इन्होंने जय जवान जय किसान का नारा दिया।
- शास्त्री जी ने 9 जून 1964 को भारत के दूसरे प्रधानमंत्री के तौर पर पद भार ग्रहण किया था।
- ताशकन्द (सोवियत संघ) में 11 जनवरी 1966 को रहस्यमय परिस्थितियों में इनकी मृत्यु हो गयी थी।
- इन्हें मरणोपरान्त 1966 में भारत रत्न से सम्मानित किया गया।
चौधरी चरण सिंहः
- भारत के पाँचवें क्रम के प्रधानमंत्री (1979-80) चौधरी चरण सिंह का जन्म 23 दिसम्बर, 1902 को मेरठ के नूरपुर गाँव में हुआ था।
- चौधरी चरण सिंह लोकसभा का सामना न करने वाले इकलौते प्रधानमंत्री थे।
- इन्होंने 1923 में विज्ञान से स्नातक एवं 1925 में आगरा विश्वविद्यालय से स्नातकोत्तर की उपाधि प्राप्त की।
- चौधरी चरण सिंह को ‘किसानों का मसीहा’ कहा जाता है।
- चौधरी चरण सिंह की जयंती (23 दिसम्बर) को देश भर में ‘किसान दिवस’ के रूप में मनाया जाता है।
- इनके द्वारा लिखी गई कुछ महत्वपूर्ण पुस्तकें जमींदारी उन्मूलन, भारत की गरीबी और उसका समाधान, किसानों की भूसंपत्ति या किसानों के लिए भूमि, प्रिवेंशन ऑफ डिवीजन ऑफ होल्डिंग्स बिलो ए सर्टेन मिनिमम, को-ऑपरेटिव फार्मिंग एक्स-रयेद् आदि है।
सुश्री मायावती
- मायावती का जन्म 15 जनवरी 1956 को दिल्ली के सुचेता कृपलानी अस्पताल में हुआ था।
- मायावती का पैतृक गांव बादलपुर, गौतमबुद्ध नगर जिले में स्थित है।
- भारत की राजनीतिक पार्टी (बहुजन समाज पार्टी) की राष्ट्रीय अध्यक्ष वर्ष (2012-17) तक राज्यसभा की सदस्या रहीं।
- उत्तर प्रदेश राज्य की चार बार मुख्यमंत्री बनीं।
मुलायम सिंह यादव
- भारत की राजनीतिक पार्टी (समाजवादी पार्टी) के संस्थापक।
- उत्तर प्रदेश राज्य के तीन बार मुख्यमंत्री रहे।
- भारत सरकार में रक्षा मंत्री (1996-98)
- नेताजी तथा धरतीपुत्र के उपनाम से प्रसिद्ध।
- भारत के द्वितीय सर्वोच्च पुरस्कार पद्म विभूषण से वर्ष 2023 में मरणोपरान्त सम्मानित|
रामनाथ कोविंद
- भारत के 14वें राष्ट्रपति रह चुके हैं। (कार्यकाल: 2017-22)बिहार राज्य के गवर्नर रह चुके हैं। (कार्यकाल: 2015-17)
- उत्तर प्रदेश राज्य से भारत के राष्ट्रपति के पद पर आसीन होने वाले प्रथम व्यक्ति।
- हाल ही में केंद्र सरकार ने ‘एक राष्ट्र एक चुनाव’ पैनल का गठन रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में किया।
कबीरदासः
- कबीरदास का जन्म 1398 ई०में वाराणसी (उ०प्र०) में हुआ था।
- कबीरदास की मृत्यु 1518 ई० में मगहर, संत कबीर नगर में हुई थी।
- इनका पालन पोषण नीरू और नीमा नामक जुलाहा दम्पत्ति ने किया था।
- संत कबीर की पत्नी का नाम लोई, पुत्र का नाम कमाल तथा पुत्री का नाम कमाली था।
- कबीरदास के गुरु का नाम स्वामी रामानन्द था।
- कबीरदास की भाषा साधुक्कड़ी थी।
- कबीरदास की रचनाएं: बीजक के रूप में संग्रहित है। इसके तीन भाग साखी, सबद तथा रमैनी है।
सूरदासः
- सूरदास का जन्म 1478 ई० में मथुरा के रूनकता नामक ग्राम में हुआ था।
- इनके पिता का नाम पंडित रामदास तथा माता का नाम जमुनादास बाई था।
- सूरदास के गुरु का नाम आचार्य बल्लभाचार्य था।
- सूरदास की प्रमुख रचनाएंः सूरसारावली, सूरसागर, साहित्य लहरी तथा राधारसकेली आदि है।
- सूरदास की भाषा ब्रज थी।
- सूरदास की मृत्यु गोवर्धन के निकट पारसौली नामक ग्राम में 1583 ई० में हुई थी।
तुलसीदासः
- गोस्वामी तुलसीदास का जन्म 1532 ई० में बांदा जिले के राजापुर नामक ग्राम में हुआ था।
- तुलसीदास के पिता का नाम आत्माराम दुबे तथा माता का नाम हुलसी था। इनकी पत्नि का नाम रतनावली था।
- तुलसीदास के गुरु का नाम नरहरिदास था।
- तुलसीदास के बचपन का नाम रामबोला था।
- तुलसीदास को रचनाएं ब्रज एवं अवधी दोनों भाषाओं में है।
- तुलसीदास की प्रमुख रचनाएंः रामचरित मानस, पार्वती मंगल, जानकी मंगल, दोहावली, कवितावली, गीतावली, सतसई, बैराग्यसंदीपनी, रामाज्ञाप्रश्न रामललानहछू, बरवै रामायण तथा विनय पत्रिका आदि है।
- तुलसीदास की मृत्यु 1623 ई० में वाराणसी में हुई थी।
रविदास
- संत रविदास (सत रदास) जा का जन्म लगभग 1388 ई० में बनारस में हुआ था।
- ये संत कबीर दास के समकालीन थे।
- ये भक्तिकाल के वैष्णव संत रामानंद के 12 शिष्यों में से एक थे।
- रैदास निर्गुण ब्रह्म के उपासक थे।
- इन्होंने रामदासी संप्रदाय की स्थापना की।
- रैदास के चालीस पद सिक्खों के पवित्र ग्रंथ ‘गुरुग्रंथ साहब’ में भी शामिल हैं।
- संत रैदास मीराबाई के गुरू थे।
- संत रैदास की मृत्यु 1518 ई० में वाराणसी में हुई थी।
मुंशी प्रेमचन्दः
- मुंशी प्रेमचन्द का जन्म 31 जुलाई 1880 को वाराणसी जिले के लमही नामक ग्राम में हुआ था।
- इनका वास्तविक नाम धनपत राय था।
- इनके पिता मुंशी अजायब राय लमही के डाक विभाग में मुंशी थे तथा माता का नाम आनन्दी देवी था।
- मुंशी प्रेमचन्द को हिन्दी के अलावा उर्दू एवं फारसी का भी ज्ञान था।
- मुंशी प्रेमचन्द की दूसरी पत्नी शिवरानी देवी एक बाल जीवनी ‘प्रेमचन्द इन हाउस’ लिखी।
- प्रेमचन्द ने हिन्दी समाचार पत्र विधवा थी।
- शिवरानी देवी ने प्रेमचन्द की मृत्यु के पश्चात् उनकी ‘जागरण’ तथा मासिक साहित्यिक पत्रिका ‘हंस’ का भी सम्पादन किया।
- प्रेमचन्द के उपन्यासः गोदान, गबन, रंगभूमि, कर्मभूमि, प्रेमाश्रम, निर्मला, रूठीरानी, वरदान, सेवासदन, प्रतिज्ञा तथा मंगल सूत्र (जिसे उनके पुत्र ने पूरा किया था) आदि है।
- प्रेमचन्द की प्रमुख कहानियाँः पंच परमेश्वर, कफन, नमक का दरोगा, पूस की रात, त्रिया-चरित्र, ईदगाह, आल्हा तथा दो बैलों की कथा आदि है।
- प्रेमचन्द के प्रमुख नाटकः करबला, प्रेम की वेदी, संग्राम तथा तजुर्बा आदि है।
- प्रेमचन्द के निबंधः कुछ विचार, कलम-त्याग और तलवार।
- 8 अक्टूबर 1936 को वाराणसी में प्रेमचन्द की मृत्यु हो गई थी।
महादेवी वर्माः
- ‘आधुनिक युग की मीरा’ के नाम से विख्यात महादेवी वर्मा का जन्म 26 मार्च 1907 को फर्रुखाबाद, उत्तर प्रदेश में हुआ था।
- इनके पिता का नाम गोविन्द प्रसाद वर्मा तथा माता का नाम हेमरानी था।
- 1932 में इन्होंने इलाहाबाद विश्वद्यिालय से संस्कृत में एम.ए. करने के पश्चात् प्रयाग महिला विद्यापीठ की स्थापना की और प्रधानाचार्य के रूप में कार्य किया।
- इन्होंने मासिक पत्रिका ‘चाँद’ का बिना वेतन लिए संपादन किया।
- महादेवी वर्मा की रचनाएं: नीहार, रश्मि, नीरजा, सांध्यगीत, दीपशिखा, अग्निरेखा, यामा, नीलाम्बरा, प्रथम आयाम, सप्तपर्णा तथा सन्धिनी आदि है।
- 11 सितम्बर 1987 को प्रयागराज में इनकी मृत्यु हो गई। इन्हें 1956 में पद्म भूषण, 1982 में ज्ञानपीठ तथा 1988 में पद्म विभूषण पुरस्कार (मरणोपरांत) मिला।
भारतेन्दु हरिश्चंद्रः
- भारतेन्दु हरिश्चंद्र काजन्म 9 सितम्बर 1850 को वाराणसी में हुआ था।
- इनके पिता गोपाल चन्द्र भी एक कवि थे।
- भारतेन्दु की मृत्यु 6 जनवरी 1885 को वाराणसी में हुई।
- इन्होंने कवि वचन सुधा, बाल बोधिनी एवं हरिश्चंद्र चंद्रिका का सम्पादन किया।
- भारतेन्दु हिन्दी साहित्य में आधुनिक काल के पितामह माने जाते है|भारतेन्दु की भाषा शैली बृज भा खड़ी बोली थी।
- भारतेन्दु हरिश्चंद्र की प्रमुख रचनाएंः प्रेम माधुरी, प्रेम मांल…. मधुमुकुल, वर्षा-विनोद, भारत दुर्दशा, अंधेर नगरी, प्रेम-तरंग, विनय प्रेम पचासा, वैदिक हिंसा-हिंसा न भवति, श्री चंद्रावली, हमीर हठ तथा बादशाह दर्पण आदि हैं|
- इन्होंने मुद्राराक्षस का भी अनुवाद किया|
जयशंकर प्रसादः
- जयशंकर प्रसाद का जन्म 30 जनवरी 1890 को काशी, उत्तर प्रदेश में हुआ था।
- इनके पिता का नाम देवी प्रसाद था।
- जयशंकर प्रसाद की रचनाएं: कामायनी, आंसू, झरना, प्रेम पथिक,उर्वशी, इरावती, चित्राधार, लहर, तितली, कंकाल, प्रतिध्वनि, छाया, कानन कुसुम, आकाशदीप, आँधी तथा ध्रुवस्वामिनी आदि हैं।
- 15 नवंबर 1937 को इनकी मृत्यु हो गई।
प्रताप नारायण मिश्रः
- प्रताप नारायण मिश्र का जन्म 24 सितम्बर 1856 ई० में उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले में हुआ था। इनके पिता संकटा प्रसाद एक ज्योतिषी थे।
- प्रताप नारायण मिश्र ने ब्राह्मण नामक मासिक पत्र में लगभग हर विषय पर निबन्ध लिखे थे।
- प्रताप नारायण मिश्र की प्रमुख रचनाएंः गौ संकट, हठी हमीर, कलि कौतुक, कलिं प्रभाव, मन की लहर, प्रेम पुष्पावली, मानस विनोद, भारत दुर्दशा (नाटक), जुआरी-खुआरी, बात तथा संगीत शाकुन्तल (छायानुवाद अभिज्ञानशाकुंतलम्-कालीदास) आदि है।
- 6 जुलाई 1894 को इनकी मृत्यु हो गई।
मैथलीशरण गुप्तः
- इनका जन्म 3 अगस्त 1886 को झांसी के निकट चिरगाँव में हुआ था।
- इन्हें 1954 में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था।
- साहित्य जगत में इन्हें ‘दद्दा’ के नाम से सम्बोधित किया जाता था।
- स्वतंत्रता संग्राम के समय प्रभावशाली सिद्ध हुई इनकी कृति ‘भारत-भारती’ के कारण इन्हें महात्मा गाँधी ने ‘राष्ट्रकवि’ की उपाधि दी थी।
- मैथिलीशरण गुप्त की जयन्ती “3 अगस्त” को कवि दिवस के रूप में मनाया जाता है।
- मैथलीशरण गुप्त की प्रमुख रचनाएंः भारत-भारती, साकेत, यशोधरा, जयद्रथ वध, पंचवटी, द्वापर तथा त्रिपथक आदि है। 12 दिसम्बर 1964 को इनका निधन चिरगाँव में ही हो गया।
रामचन्द्र शुक्लः
- आचार्य रामचन्द्र शुक्ल का जन्म 1884 ई० में बस्ती जिले के अगोना गाँव में हुआ था।
- आचार्य रामचन्द्र शुक्ल की प्रमुख रचनाएं चिंतामणि, विचार वीथी, हिन्दी साहित्य का इतिहास तथा आदर्श जीवन आदि है।
- इनकी मृत्यु 1941 में हो गई।
हरिवंश राय बच्चनः
- इनका जन्म 27 नवम्बर 1907 को प्रयागराज के निकट पट्टी गाँव (वर्तमान में प्रतापगढ़ जिले) में हुआ था।
- इनकी प्रमुख रचनाएं मधुशाला, मधुबाला, मधुकलश, निशा निमंत्रण, एकांत संगीत, मिलन यामिनी, क्या भूलूँ क्या याद करूँ, दो चट्टानें, बसेरे से दूर, प्रवास की डायरी, नीड़ का निर्माण फिर तथा दशद्वार से सोपान तक आदि है।
- इन्हें 1968 में इनकी रचना दो चट्टानें हेतु साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
- इनकी मृत्यु 18 जनवरी 2003 को मुम्बई में हुई।
अमिताभ बच्चन
- अमिताभ बच्चन का जन्म 11 अक्टूबर 1942 अमिताभ बच्चन, जिन्हें हिंदी सिनेमा का ‘शहंशाह’ कहा जाता है, उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद (अब प्रयागराज) से ताल्लुक रखते हैं। उन्होंने बॉलीवुड में अपनी अदाकारी से एक नया आयाम दिया और आज भी सिनेमा जगत में सक्रिय हैं।
हजारी प्रसाद द्विवेवीः
- हजारी प्रसाद द्विवेदी का जन्म 19 अगस्त 1907 में बलिया जिले में हुआ था।
- इन्हें 1957 में पद्म भूषण से अलंकृत किया गया था।
- आलोक पर्व निबंध के लिए इन्हें 1973 में साहित्य अकादमी पुरस्कार मिला।
- इन्होंने काशी हिन्दू विश्वद्यिालय में प्रोफेसर एवं HOD के रूप में भी अपनी सेवाएं दी|
- हजारी प्रसाद द्विवेदी की प्रमुख रचनाएं: कल्पलता, विचार औ वितर्क, विचार-प्रवाह, आलोक पर्व, कुटज, हिन्दी साहित्य क भूमिका, नाथ सम्प्रदाय, बाणभट्ट की आत्मकथा, सूर साहित्य तथ मेघदूत आदि है|
- 19 मई 1979 को इनका निधन हो गया था।
डॉ० सम्पूर्णानन्दः
- डॉ० सम्पूर्णानन्द का जन्म 1890 ई० में बनारस में हुआ था।
- इन्होंने मर्यादा और टुडे नामक पत्रों का भी सम्पादन किया।
- डॉ० सम्पूर्णानन्द ने उत्तर प्रदेश के शिक्षामंत्री, गृहमंत्री तथा मुख्यमंत्री पद को भी सुशोभित किया तथा राजस्थान के राज्यपाल भी रहे।
- जीवन और दर्शन, चिद्विलास, सप्तर्षि तारामण्डल, भाषा की शक्ति, आर्यों का आदि देश समाजवाद, अंतर्राष्ट्रीय विधान तथा सम्राट हर्षवर्धन आदि हैं।
- इनकी मृत्यु 10 जनवरी 1969 ई० में हुई।
- वृन्दोलाल वर्माः
- वृन्दालाल वर्मा का जन्म 9 जनवरी 1889 को झाँसी, उत्तर प्रदेश में हुआ था।
- इनके पिता का नाम अयोध्या प्रसाद था।
- इनकी प्रमुख रचनाएंः मृगनयनी, झांसी की रानी, भुवन विक्रम, टूटे कांटे, आँचल मेरा कोई, राखी की लाज, संगम, लगान, अहिल्याबाई, माधवजी सिंधिया तथा कचनार आदि हैं।
- इनका निधन 23 फरवरी 1969 को हुआ।
सुभद्रा कुमारी चौहानः
- इनका जन्म 16 अगस्त 1904 को इलाहाबाद, उत्तर प्रदेश में हुआ था।
- सुभद्रा कुमारी चौहान की प्रमुख रचनाएं बिखरे मोती, उनमादिनी, सीधे-साधे चित्र, अनोखा दान, आराधना, उपेक्षा, उल्लास, यह कदम्ब का पेड़, समर्पण तथा जलियाँवाला बाग में बसंत आदि है।
- 15 फरवरी 1948 को सड़क दुर्घटना में इनकी मृत्यु हो गई।
सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन ‘अज्ञेय’:
- इनका जन्म 7 मार्च 1911 को कसया (वर्तमान नामः कुशीनगर), उत्तर प्रदेश में हुआ था।
- इनकी प्रमुख रचनाएं: शेखर एक जीवनी, कोठरी की बात, परंपरा, एक बूँद सहसा उछली, सबरंग, आत्मनेपद, त्रिशंकु, उत्तर प्रियदर्शी तथा नदी के द्वीप आदि हैं।
- 4 अप्रैल 1987 की इनकी मृत्यु हो गई।
धर्मवीर भारतीः
- धर्मवीर भारती का जन्म 25 सितंबर 1926 को प्रयागराज, उत्तर प्रदेश में हुआ था।
- इनकी प्रमुख रचनाएं: गुनाहों का देवता,
- सूरज का सातवाँ घोड़ा, अंधा युग, बंद गली का आखिरी मकान, ठेले पर हिमालय तथा कुछ चेहरे कुछ चिंतन आदि है।
- इन्हें वर्ष 1972 में भारत सरकार द्वारा पद्म श्री से अलंकृत किया गया।
- इनकी मृत्यु 4 सितंबर 1997 को हुई।
राहुल सांकृत्यायनः
- राहुल सांकृत्यायन का जन्म उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ जिले के पंदहा गांव (इनके ननिहाल) में 9 अप्रैल 1893 को हुआ था।
- इन्हें काशी के पंडितों ने महापंडित की उपाधि दी थी।
- इनकी प्रमुख रचनाएंः घुमक्कड़ शास्त्र, मेरी लद्दाख यात्रा, वोल्गा से गंगा, मेरी जीवन यात्रा, भागो नहीं दुनिया बदलो, दिमागी गुलामी, किन्नर देश में तथा दर्शन दिग्दर्शन आदि हैं।
- 4 अप्रैल 1963 में दार्जिलिंग में इनकी मृत्यु हो गई।
मेजर ध्यानचंद
- इनका जन्म 29 अगस्त 1905 ई० को इलाहाबाद में हुआ था।
- द विजार्ड, द मैजीशियन के उपनाम से प्रसिद्ध।
- भारतीय हॉकी के प्रसिद्ध खिलाड़ी।
- 1928, 1932 तथा 1936 के ओलम्पिक खेलों में स्वर्ण पदक विजेता हॉकी टीम के खिलाड़ी।
- मेजर ध्यानचंद की आत्मकथा का शीर्षक ‘गोल‘ है।
रवि शंकर
- मशहूर सितार वादक रवि शंकर का जन्म 7 अप्रैल 1920 को वाराणसी में हुआ था।
- इन्हे तीन बार ग्रमी अवार्ड
- 1999 में भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान “भारत रत्न” से सम्मानित किया गया।
किशन महाराज
- मशहूर तबला वादक पंडित किशन महाराज का जन्म 3 सितम्बर 1923 को वाराणसी में कबीर चौरा नामक स्थान पर हुआ था।
उत्तर प्रदेश के इन महान व्यक्तियों का योगदान
50 Famous personalities of Uttar Pradesh: ये महान व्यक्ति अपने-अपने क्षेत्रों में अद्वितीय योगदान देने के लिए जाने जाते हैं। इनका जीवन और कार्य हमें प्रेरणा देते हैं और आने वाली पीढ़ियों के लिए मार्गदर्शन का काम करते हैं।
Name | Place | Work/Book |
---|---|---|
जियाउद्दीन बरनी | बदायूं, | तारिख-ए-फिरोजशाही |
किशन महाराज | काशी | उल्लेखनीय रचनाएँ नहीं, केवल प्रदर्शन |
सूरदास | मथुरा | सूरसारावली, सूरसागर, साहित्य लहरी |
तुलसीदास | बांदा | रामचरितमानस, विनय पत्रिका, कवितावली |
संत रविदास | बनारस | गुरु ग्रंथ साहिब में चालीस पद शामिल |
मुंशी प्रेमचन्द | वाराणसी | गोदान, गबन, ईदगाह, पंच परमेश्वर |
महादेवी वर्मा | फर्रुखाबाद | यामा, नीहार, दीपशिखा |
भारतेन्दु हरिश्चंद्र | वाराणसी | अंधेर नगरी, भारत दुर्दशा |
जयशंकर प्रसाद | काशी | कामायनी, आँसू, ध्रुवस्वामिनी |
प्रताप नारायण मिश्र | उन्नाव | गौ संकट, हठी हमीर |
मैथलीशरण गुप्त | झांसी | साकेत, भारत-भारती |
रामचन्द्र शुक्ल | बस्ती | हिंदी साहित्य का इतिहास, चिंतामणि |
हरिवंश राय बच्चन | प्रयागराज | मधुशाला, दो चट्टानें |
हजारी प्रसाद द्विवेदी | बलिया | बाणभट्ट की आत्मकथा, आलोक पर्व |
डॉ. सम्पूर्णानन्द | बनारस | चिद्विलास, समाजवाद |
वृन्दालाल वर्मा | झाँसी | झांसी की रानी, मृगनयनी |
सुभद्रा कुमारी चौहान | इलाहाबाद | झांसी की रानी, बिखरे मोती |
अज्ञेय | कुशीनगर | शेखर एक जीवनी, नदी के द्वीप |
धर्मवीर भारती | प्रयागराज | गुनाहों का देवता, अंधा युग |
राहुल सांकृत्यायन | आजमगढ़ | वोल्गा से गंगा, घुमक्कड़ शास्त्र |
मेजर ध्यानचंद | इलाहाबाद | उल्लेखनीय पुस्तक नहीं, हॉकी में योगदान |
रवि शंकर | वाराणसी | राग-रागिनी के प्रदर्शन, ग्रैमी अवार्ड विजेता |
राजा टोडरमल | सीतापुर | अकबर के नवरत्नों में से एक, भू-अभिलेख मंत्री, आईन-ए-दहसाला कृषि राजस्व प्रणाली की स्थापना। |
बीरबल | जालौन | अकबर के नवरत्न, दीन-ए-इलाही धर्म स्वीकार करने वाले पहले व्यक्ति, अकबर ने "कविराज" की उपाधि दी। |
शेख फैज़ी | आगरा | अकबर के नवरत्न, संस्कृत ग्रन्थ 'लीलावती' का फारसी में अनुवाद किया। |
अबुल फजल | आगरा | अकबर के नवरत्न, 'अकबरनामा' और 'आईने अकबरी' के लेखक। |
मलिक मोहम्मद जायसी | अमेठी | 'पद्मावत' और अन्य रचनाओं के लेखक। |
रानी लक्ष्मीबाई | वाराणसी | 1857 के स्वतंत्रता संग्राम की प्रमुख नेता, झांसी की रानी। |
तात्या टोपे | नासिक | 1857 की क्रांति के प्रमुख सेनापति। |
नाना साहब | बिठूर | 1857 की क्रांति में कानपुर का नेतृत्व, नेपाल में निर्वासन। |
बेगम हजरत महल | फैजाबाद | अवध की बेगम, 1857 की क्रांति में लखनऊ का नेतृत्व। |
अजीजन बेगम | लखनऊ | 1857 की क्रांति में स्त्रियों का एक दल गठित किया, कानपुर में। |
पं० मदन मोहन मालवीय | प्रयागराज | बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के संस्थापक, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के चार बार अध्यक्ष। |
मंगल पाण्डे | बलिया | 1857 की क्रांति के प्रथम शहीद, 34 वीं बटालियन के सैनिक। |
रामप्रसाद बिस्मिल | शाहजहाँपुर | काकोरी कांड के नायक, क्रांतिकारी, कवि और शायर। |
चन्द्रशेखर आज़ाद | उन्नाव | हिन्दुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन के नेता, अल्फ्रेड पार्क में शहादत। |
अशफाक उल्ला खाँ | शाहजहाँपुर | काकोरी कांड के नायक, हिन्दुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन के सदस्य। |
रोशन सिंह | शाहजहाँपुर | हिन्दुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन के सदस्य, बमरौली डकैती में शामिल। |
शिव वर्मा | हरदोई | लाहौर षड्यंत्र केस में आजीवन कारावास, स्वतंत्रता संग्राम के क्रांतिकारी। |
निष्कर्ष: 50 Famous personalities of Uttar Pradesh
उत्तर प्रदेश का इतिहास और वर्तमान इन महान व्यक्तियों के बिना अधूरा है। इनके योगदान से न केवल उत्तर प्रदेश, बल्कि पूरे देश को गर्व होता है। हमें इनके जीवन से प्रेरणा लेकर अपने लक्ष्य की प्राप्ति के लिए कठिन परिश्रम करना चाहिए।
Important Topics for Up Exam
उत्तर प्रदेश के महान व्यक्तियों की कहानियाँ हमें यह सिखाती हैं कि कठिन परिश्रम, समर्पण, और साहस के साथ कुछ भी हासिल किया जा सकता है। इनके योगदान से भारत की संस्कृति और इतिहास समृद्ध हुआ है। हमें इनके जीवन से प्रेरणा लेकर अपने लक्ष्यों की ओर अग्रसर होना चाहिए।