The Bharatiya Nagarik Suraksha Sanhita: BNSS 2023 (BNSS)
भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS), 2023
भारत में कानूनी सुधारों की दिशा में एक बड़ा कदम उठाते हुए, केंद्र सरकार ने भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS), 2023 को पेश किया है। यह नया कानून देश के आपराधिक न्याय प्रणाली में बड़े बदलावों का संकेत देता है। इससे पहले, भारतीय दंड संहिता (CrPC) 1973 प्रमुख रूप से आपराधिक न्याय व्यवस्था को संचालित करती थी। हालांकि, BNSS ने इसे बदलते समय की आवश्यकताओं के अनुसार संशोधित किया है। BNSS में 531 धाराएं और XXXIX अध्याय शामिल हैं, जबकि CrPC में 484 धाराएं और XXXVII अध्याय थे। इस लेख में हम BNSS 2023 के महत्वपूर्ण प्रावधानों, विशेषताओं और इसके प्रभावों पर विस्तार से चर्चा करेंगे। और
BNSS 2023 के प्रमुख प्रावधान
BNSS 2023 में कई महत्वपूर्ण प्रावधान शामिल किए गए हैं जो कानून को अधिक पारदर्शी और प्रभावी बनाने के लिए डिजाइन किए गए हैं। इनमें से कुछ प्रमुख प्रावधान निम्नलिखित हैं:
- धारा 86: घोषित व्यक्ति की संपत्ति की पहचान और कुर्की
यह धारा उन व्यक्तियों की संपत्ति की पहचान और कुर्की के लिए प्रावधान करती है जिन्हें कानूनी रूप से दोषी ठहराया गया है। - धारा 105: ऑडियो-वीडियो इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से तलाशी और जब्ती की रिकॉर्डिंग
यह प्रावधान पुलिस को तलाशी और जब्ती की प्रक्रिया को ऑडियो-वीडियो माध्यम से रिकॉर्ड करने की अनुमति देता है, जिससे इस प्रक्रिया में पारदर्शिता बढ़ती है। - धारा 107: संपत्ति की कुर्की, जब्ती या वापसी
यह धारा उस प्रक्रिया को परिभाषित करती है जिसके तहत संपत्ति की कुर्की या जब्ती की जाती है और उसके बाद संपत्ति की वापसी के नियम तय किए जाते हैं। - धारा 172: पुलिस के वैध निर्देशों का पालन करने के लिए बाध्य व्यक्ति
यह प्रावधान नागरिकों को पुलिस के वैध निर्देशों का पालन करने के लिए बाध्य करता है, जिससे कानून व्यवस्था बनाए रखने में मदद मिलती है। - धारा 336: कुछ मामलों में लोक सेवकों, विशेषज्ञों, पुलिस अधिकारियों का साक्ष्य
यह धारा लोक सेवकों, विशेषज्ञों और पुलिस अधिकारियों के साक्ष्य की मान्यता को स्थापित करती है, जिससे न्यायिक प्रक्रिया में उनकी भूमिका को सुदृढ़ किया जा सके। - धारा 356: घोषित अपराधी की अनुपस्थिति में जांच, परीक्षण या निर्णय
यह प्रावधान उन मामलों में लागू होता है जहां अपराधी न्यायालय में उपस्थित नहीं हो सकता है। इस धारा के तहत जांच, परीक्षण या निर्णय को जारी रखा जा सकता है। - धारा 398: गवाह संरक्षण योजना
यह धारा गवाहों के संरक्षण के लिए एक विशेष योजना प्रदान करती है, जिससे वे बिना किसी दबाव के अपने बयान दे सकें। - धारा 472: मृत्युदंड के मामलों में दया याचिका
यह प्रावधान मृत्युदंड के मामलों में दया याचिका की प्रक्रिया को परिभाषित करता है, जिससे अपराधी को न्याय की एक और प्रक्रिया मिलती है। - धारा 530: इलेक्ट्रॉनिक मोड में परीक्षण और कार्यवाही की जाएगी
यह धारा न्यायिक प्रक्रिया में आधुनिक तकनीकी साधनों के उपयोग को बढ़ावा देती है, जिससे परीक्षण और कार्यवाही को इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से संचालित किया जा सके।
BNSS की प्रमुख विशेषताएं
BNSS 2023 के तहत कई नए और महत्वपूर्ण बदलाव किए गए हैं, जो इसे अधिक प्रभावी और समकालीन बनाते हैं। इनमें से कुछ प्रमुख विशेषताएं निम्नलिखित हैं:
- एफआईआर दर्ज करने में सरलता
अब किसी भी पुलिस स्टेशन में एफआईआर दर्ज की जा सकती है, चाहे अपराध का क्षेत्र कुछ भी हो। इसके अलावा, एफआईआर को इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से भी दर्ज किया जा सकता है, जिससे प्रक्रिया अधिक सुलभ हो गई है। - बयानों की रिकॉर्डिंग में बदलाव
बलात्कार पीड़िता का बयान उसके घर पर दर्ज किया जाएगा और इसे मोबाइल फोन सहित ऑडियो-वीडियो इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से भी रिकॉर्ड किया जा सकता है। यौन उत्पीड़न के मामलों में महिला पुलिस अधिकारी का होना अनिवार्य किया गया है। इसके अलावा, 15 वर्ष से कम या 60 वर्ष से अधिक आयु के व्यक्तियों को बयान दर्ज करने के लिए पुलिस स्टेशन नहीं बुलाया जाएगा। - गिरफ्तारी के नए नियम
3 वर्ष से कम कारावास की सजा वाले अपराधों में डीएसपी की अनुमति के बिना वृद्ध या अशक्त व्यक्ति की गिरफ्तारी नहीं की जाएगी। इसके अलावा, गिरफ्तार व्यक्तियों का रिकॉर्ड रखने के लिए प्रत्येक पुलिस स्टेशन में नामित पुलिस अधिकारी की नियुक्ति की जाएगी। - रिमांड की नई व्यवस्था
अब BNSS के तहत शुरुआती 15 दिनों के बाद भी पुलिस रिमांड मांगी जा सकती है। इसमें आरोपी की रिमांड गिरफ्तारी के पहले 40 दिनों के भीतर और गंभीर मामलों में 60 दिनों के भीतर मांगी जा सकती है। - जांच प्रक्रिया में समयबद्धता
BNSS और POCSO के तहत कुछ यौन अपराध मामलों में जांच सूचना दर्ज होने की तारीख से 2 महीने के भीतर पूरी की जानी चाहिए। इससे न्यायिक प्रक्रिया में तेजी लाने का प्रयास किया गया है।
Indian Evidence Act 1872: भारतीय साक्ष्य अधिनियम 2023
BNSS के साथ ही भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 में भी कई महत्वपूर्ण बदलाव किए गए हैं। यह नया अधिनियम अब 170 धाराओं के साथ आता है, जबकि पहले भारतीय साक्ष्य अधिनियम में 166 धाराएँ थीं। यह किसी भी न्यायालय में या उसके समक्ष सभी न्यायिक कार्यवाहियों पर लागू होता है, जिसमें सैन्य न्यायालय भी शामिल हैं।
इस अधिनियम की प्रमुख विशेषताओं में शामिल हैं:
- इलेक्ट्रॉनिक या डिजिटल रिकॉर्ड के लिए नई धारा 61
यह धारा इलेक्ट्रॉनिक या डिजिटल रिकॉर्ड को साक्ष्य के रूप में स्वीकार करने की अनुमति देती है, जिससे इन्हें पारंपरिक दस्तावेजी साक्ष्य के बराबर कानूनी वैधता प्राप्त होती है। - द्वितीयक साक्ष्य में विस्तार
द्वितीयक साक्ष्य में अब यांत्रिक प्रक्रियाओं द्वारा मूल से बनाई गई प्रतिलिपियाँ, दस्तावेजों के समकक्षों से बनाई गई प्रतिलिपियाँ और दस्तावेज की सामग्री के मौखिक विवरण को शामिल किया गया है। - डीएनए साक्ष्य की स्वीकार्यता
इस नए अधिनियम में डीएनए साक्ष्य की स्वीकार्यता के लिए विशेष प्रावधान बनाए गए हैं, जिससे न्यायिक प्रक्रिया में वैज्ञानिक साक्ष्यों की भूमिका और बढ़ गई है।
निष्कर्ष: BNSS 2023
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भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) 2023 और भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 भारतीय न्यायिक प्रणाली में एक बड़े परिवर्तन का संकेत देते हैं। इन नए कानूनों का उद्देश्य न्यायिक प्रक्रिया को अधिक पारदर्शी, आधुनिक और प्रभावी बनाना है। BNSS 2023 के प्रावधानों से नागरिकों को अधिक अधिकार मिलेंगे और न्यायिक प्रक्रिया में तेजी आएगी। वहीं, भारतीय साक्ष्य अधिनियम 2023 के प्रावधानों से साक्ष्य की विश्वसनीयता और मान्यता को बढ़ावा मिलेगा। यह आवश्यक है कि सभी नागरिक इन कानूनों को समझें और उनके प्रभावों से अवगत रहें, ताकि वे अपने अधिकारों और कर्तव्यों को सही ढंग से निभा सकें।