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Complete Guide to All 106 Amendments of Indian Constitution (1951-2025)

Amendments of Indian Constitution - AI image संविधान की पुस्तक, संसद भवन और संशोधन प्रक्रिया को दर्शाती एआई छवि

संविधान के सफर को समझने की एक कलात्मक अभिव्यक्ति

Amendments of Indian Constitution: भारतीय संविधान दुनिया का सबसे बड़ा लिखित संविधान है, जिसे समय-समय पर बदलने की आवश्यकता पड़ती है। इन बदलावों को हम “संविधान संशोधन” (Constitution Amendments) कहते हैं। ये संशोधन न केवल देश की बदलती परिस्थितियों को दर्शाते हैं, बल्कि न्यायपालिका, कार्यपालिका और विधानपालिका की शक्ति को भी पुनर्परिभाषित करते हैं। UPSC और अन्य सरकारी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे छात्रों के लिए ये जानना बेहद महत्वपूर्ण है कि कौन-कौन से संशोधन कब और क्यों किए गए।

इस लेख में, हम आपको संविधान संशोधन प्रक्रिया, संबंधित महत्वपूर्ण अनुच्छेद, और अब तक हुए 106 संशोधनों की जानकारी देंगे।

संविधान में संशोधन का अधिकार (Amendment Process and Authority)

संविधान के भाग 20 के अंतर्गत अनुछेद 368 में संसद को संविधान संशोधन करने की शक्तियां प्रदान की गई हैं। संशोधन विधेयक पास करने के लिए संसद के दोनों सदनों में विशेष बहुमत की आवश्यकता होती है।

संविधान संशोधन तीन प्रकार से किया जाता है –

  1. साधारण बहुमत: सदन में उपस्थित और मतदान करने वाले सदस्यों के 50% से अधिक के बहुमत से है
  2. विशेष बहुमत: 2/3 से पारित विधायक
  3. विशेष बहुमत तथा राज्यों का अनुसमर्थन: 2/3 से पारित विधायक + राज्य के 50% से अधिक विधानमंडलों द्वारा इसका समर्थन किया जाए

भारतीय संविधान के महत्वपूर्ण प्रमुख संशोधनों की सूची (1951-2024):

अब तक भारतीय संविधान में 1951 – 2024 तक 106 संशोधन किए जा चुके हैं। इस आर्टिकल में अब तक के सभी संविधान संशोधन को सूचीबद्व किया गया गया।

प्रथम संशोधन अधिनियम, 1951

  1. 9वीं अनुसूची भूमि सुधार अधिनियम
  2. सामाजिक और आर्थिक तथा पिछड़े वर्गों की उन्नति के लिए विशेष उपबंध बनाने हेतु राज्यों को शक्ति प्रदान की गई।
  3. कानून की रक्षा के लिए संपत्ति अधिग्रहण आदि की व्यवस्था।
  4. भूमि सुधार एवं न्यायिक समीक्षा से जुड़े अन्य कानून को नौवीं सूची में स्थान
  5. विचार एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर तीन और प्रमुख कारणों से प्रतिबंध की कवायद, जैसे-लोक आदेश, विदेशी राज्यों के साथ दोस्ताना संबंध, किसी अपराध के लिए भड़काना। प्रतिबंधों को तर्कसंगत बनाया और इस प्रकार ये न्याययोज्य हैं।
  6. यह व्यवस्था की कि राज्य ट्रेडिंग और राज्य द्वारा किसी व्यापार या व्यवसाय के राष्ट्रीयकरण को केवल इस आधार पर अवैध घोषित नहीं किया जा सकता कि यह व्यापार या व्यवसाय के अधिकार का उल्लंघन करता है।

2nd संविधान संशोधन 1952

3rd संविधान संशोधन 1954

4rd संविधान संशोधन 1955

5th संविधान संशोधन 1955

6th संविधान संशोधन 1956

7th संविधान संशोधन 1956

8th संविधान संशोधन 1960

अनुसूचित जाति एवं जनजाति को आरक्षण व्यवस्था में विस्तार और आंग्ल भारतीय प्रतिनिधि की लोकसभा एवं विधानसभाओं में दस वर्ष के लिए बढ़ोतरी 1970 तक

9th संविधान संशोधन 1960

भारत-पाक समझौते (1958) के अनुसार पाकिस्तान को चेकबाड़ी संघ (पश्चिम बंगाल स्थित) के भारतीय राज्यक्षेत्र का समर्पण।

10वां संशोधन अधिनियम, 1961

11 वा संशोधन अधिनियम 1961

12th संविधान संशोधन 1962

13th संविधान संशोधन 1962

14वां संशोधन अधिनियम, 1962

15 वां संशोधन अधिनियम, 1963

16th संविधान संशोधन 1963

17वां संशोधन अधिनियम, 1964

18th संविधान संशोधन 1966

19th संविधान संशोधन 1966

20वां संशोधन अधिनियम, 1966

21 वां संशोधन अधिनियम, 1967

22वां संशोधन अधिनियम, 1969

23वां संशोधन अधिनियम, 1969

24वां संशोधन अधिनियम, 1971

25वां संशोधन अधिनियम, 1971

26वां संशोधन अधिनियम, 1971

27वां संशोधन अधिनियम, 1971

28वां संशोधन अधिनियम, 1972

29वां संशोधन अधिनियम, 1972

30वां संशोधन अधिनियम, 1972

31वां संशोधन अधिनियम, 1972

32वां संशोधन अधिनियम, 1973

33वां संशोधन अधिनियम, 1974

संसद या विधानमंडल के अध्यक्ष/सभापति द्वारा किसी सदस्य के इस्तीफे को मंजूर करने की व्यवस्था, यदि वह महसूस करें कि त्यागपत्र स्वैच्छिक या वास्तविक है।

34वां संशोधन अधिनियम, 1974

35वां संशोधन अधिनियम, 1974

36वां संशोधन अधिनियम, 1975

37वां संशोधन अधिनियम, 1975

38वां संशोधन अधिनियम, 1975

39वां संशोधन अधिनियम, 1975

40वां संशोधन अधिनियम 1976

41वां संशोधन अधिनियम 1976

42वां संशोधन अधिनियम 1976: PM – Indira Gandhi 

  1. तीन नए शब्द जोड़ गए (समाजवादी, धर्म निरपेक्ष एवं अखंडता संशोधन, इसे लघु संविधान के रूप में जाना जाता है। इससे स्वर्ण सिंह समिति की सिफारिशों को प्रभावी बनाया)
  2. पांच विषयों का राज्य सूची से समवर्ती सूची में स्थानांतरण, जैसे-शिक्षा, वन, वन्य जीवों एवं पक्षियों का संरक्षण, नाप-तौल और न्याय प्रशासन
  3. लोकसभा एवं विधानसभा के कार्यकाल में 5 से 6 वर्ग की बढ़ोतरी।
  4. नागरिकों द्वारा मूल कर्तव्यों को जोड़ा गया, भाग IV-A के तहत नागरिकों के लिए मौलिक कर्तव्य (अनुच्छेद 51-क) निर्धारित किया गए।
  5. राष्ट्रपति को कैबिनेट की सलाह के लिए बाध्यता।
  6. प्रशासनिक अधिकरणों एवं अन्य मामलों पर अधिकरणों की व्यवस्था (भाग XIIV क जोड़ा गया)
  7. 1971 की जनगणना के आधार पर 2001 तक लोकसभा सीटों एवं राज्य विधानसभा सीटों को निश्चित किया गया।
  8. सांविधानिक संशोधन को न्यायिक जांच से बाहर किया गया।
  9. न्यायिक समीक्षा एवं रिट न्यायक्षेत्र में उच्चतम एवं उच्च्च न्यायालयों की शक्ति में कटौती।
  10. निदेशक तत्वों के कार्यान्वयन हेतु बनाई गई विधियों को न्यायालय द्वारा इस आधार पर अवैध घोषित नहीं किया जा सकता कि ये कुछ मूल अधिकारों का उल्लंघन है।
  11. संसद् को राष्ट्र विरोधी कार्यकलापों के संबंध में कार्यवाही करने के लिए विधियां बनाने की शक्ति प्रदान की गयी और ऐसी विधियां मूल अधिकारों पर अभिभावी होंगी।
  12. तीन नए निदेशक तत्व जोड़े गए अर्थात समान न्याय और निशुल्क विधिक सहायता, उद्योगों के प्रबंध में कर्मकारों का भाग लेना, पर्यावरण का संरक्षण तथा संवर्धन और वन तथा वन्य जीवों की रक्षा।
  13. भारत के किसी एक भाग में राष्ट्रीय आपदा की घोषणा।
  14. राज्य में राष्ट्रपति शासन के कार्यकाल में एक बार में छह माह से एक साल तक बढ़ोतरी।
  15. केंद्र को किसी राज्य में कानून एवं व्यवस्था बनाए रखने के लिए सैन्य बल भेजने की शक्ति।
  16. संसद और विधानमंडल में कोरम की आवश्यकता की समाप्ति।
  17. संसद को यह निर्णय लेने में शक्ति प्रदान की कि समय-समय पर अपने सदस्यों एवं समितियों के अधिकार एवं विशेषाधिकारों का निर्धारण करे।
  18. अखिल भारतीय विधिक सेवा के निर्माण की व्यवस्था।
  19. सिविल सेवक को दूसरे चरण पर जांच के उपरांत प्रतिवेदन के अधिकार को समाप्त कर अनुशासनात्मक कार्यवाही को छोटा किया गया (प्रस्तावित दण्ड के मामले में)

43वां संशोधन अधिनियम 1977

44वां संशोधन अधिनियम 1978: PM – M0raji Desai 

  1. लोकसभा एवं राज्य विधानमंडल के कार्यकाल को पूर्ववत् रखा गया (5 वर्ष)।
  2. मूल अधिकारों की सूची से संपत्ति का अधिकार Article 31 समाप्त किया गया और इसे केवल विधिक अधिकार बनाया गया।
  3. अनुच्छेद 20 और 21 द्वारा प्रदत्त मूल अधिकारों को राष्ट्रीय आपातकाल में निलंबित नहीं किया जा सकता
  4. संसद एवं राज्य विधानमंडल में कोरम के उपबंध को पूर्ववत रखा।
  5. संसदीय विशेषाधिकारों के संबंध में ब्रिटिश हाउस ऑफ कॉमन्स के संदर्च को हटा दिया गया।
  6. संसद एवं राज्य विधानमंडल की कार्यवाही की रिपोर्ट के समाचारपत्र में प्रकाशन के लिए साविधानिक संरक्षण प्रदान किया गया।
  7. कैबिनेट की सलाह को पुनर्विचार के लिए एक चार भेजने की राष्ट्रपति को शक्ति, परन्तु पुनर्विचार के वाध्य यह बाध्यकारी होगी।
  8. अध्यादेश जारी करने में राष्ट्रपति, राज्यपाल एवं प्रशासक की मंतुष्टि के उपबंध को समाप्त किया गया।
  9. उच्चतम न्यायालय एवं उच्च न्यायालय की कुछ शक्तियों को फिर से प्रदान किया गया।
  10. राष्ट्रीय आपात के संदर्भ में’ आंतरिक अशांति’ शब्द के स्थान पर ‘सशस्त्र विद्रोह’ शब्द रखा गया।
  11. राष्ट्रपति के लिए यह व्यवस्था बनाई गई कि वह केवल कैबिनेट की लिखित सिफारिश पर ही आपातकाल घोषित कर सकता है।
  12. राष्ट्रीय आपात और राष्ट्रपति शासन के मुद्दे पर सुरक्षा की दृष्टि से कुछ और व्यवस्थाएं बनाई।
  13. उस उपबंध को हटाया गया जिसने न्यायालय के राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और लोकसभा अध्यक्ष के निर्वाचन संबंधी विवाद मामलों पर निर्णय देने की शक्ति छौन ली थी।

45वां संशोधन अधिनियम 1980

अनुसूचित जाति और जनजाति के लिए आरक्षण एवं लोकसभा व विधानमंडल में आग्ल-भारतीयों के विशेष प्रतिनिधित्व को और दस वर्ष के लिए (1990 तक) बढ़ाया गया।

46वां संशोधन अधिनियम 1982

47वां संशोधन अधिनियम 1984

48वां संशोधन अधिनियम 1984

49वां संशोधन अधिनियम 1984

50वां संशोधन अधिनियम 1984

51वां संशोधन अधिनियम 1984

52वां संशोधन अधिनियम 1985

53वां संशोधन अधिनियम 1986

54वां संशोधन अधिनियम 1986

55वां संशोधन अधिनियम 1986

56वां संशोधन अधिनियम 1987

57वां संशोधन अधिनियम 1987

58वां संशोधन अधिनियम 1987

59वां संशोधन अधिनियम 1988

60वां संशोधन अधिनियम 1988

61वां संशोधन अधिनियम 1989

62वां संशोधन अधिनियम 1989

63वां संशोधन अधिनियम 1990

64वां संशोधन अधिनियम 1990

65वां संशोधन अधिनियम 1990

66वां संशोधन अधिनियम 1990

67वां संशोधन अधिनियम 1990

68वां संशोधन अधिनियम 1991

69वां संशोधन अधिनियम 1991

70वां संशोधन अधिनियम 1992

71वां संशोधन अधिनियम 1992

72वां संशोधन अधिनियम 1992

73वां संशोधन अधिनियम 1992

74वां संशोधन अधिनियम 1992

75वां संशोधन अधिनियम 1994

76वां संशोधन अधिनियम 1994

77वां संशोधन अधिनियम 1995

78वां संशोधन अधिनियम 1995

79वां संशोधन अधिनियम 1999

80वां संशोधन अधिनियम 2000

81वां संशोधन अधिनियम 2000

82वां संशोधन अधिनियम 2000

83वां संशोधन अधिनियम 2000

84वां संशोधन अधिनियम 2001

85वां संशोधन अधिनियम 2001

86वां संशोधन अधिनियम 2002

87वां संविधान संशोधन 2003

88वां संविधान संशोधन 2003

89वां संविधान संशोधन 2003

इस संविधान संशोधन अधिनियम, द्वारा राष्ट्रीय अनुसूचित जाति एवं जनजाति आयोग का दो भागों में विभाजन कर दिया गया है। अब इनके नाम क्रमशः राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग एवं राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग होंगे। दोनों ही आयोगों में एक अध्यक्ष, एक उपाध्यक्ष तथा तीन अन्य सदस्य होंगे। इनकी नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जायेगी।

90वां संविधान संशोधन 2003

यह संविधान संशोधन असम में बोडोलैंड टेरिटोरियल एरियाज डिस्ट्रिक से असम विधान सभा में अनुसूचित जनजातियों और गैर-अनुसूचित जनजातियों के लिए पूर्व प्रतिनिधित्व को कायम रखा है।

91वां संविधान संशोधन 2003: PM – अटल बिहारी वाजपेयी

इस संविधान संशोधन अधिनियम, द्वारा मंत्रिपरिषद के आकार को निश्चित कर दिया गया है। इसका उद्देश्य दोपियों को लोक पद धारण करने से रोकना और दल-बदल कानून को मजबूती प्रदान करता है-

92वां संविधान संशोधन 2003

93वां संविधान संशोधन 2005: मनमोहन सिंह भारत गणराज्य के 13वें प्रधानमन्त्री थे।

94वां संविधान संशोधन 2006

95वां संविधान संशोधन 2009

96वां संविधान संशोधन 2011

97वां संविधान संशोधन 2011

संशोधन द्वारा संविधान में निम्नलिखित तीन बदलाव किए गएः

  1. सहकारी समिति बनाने का अधिकार एक मौलिक अधिकार बन गया।
  2. राज्य की नीति में सहकारी समितियों को बढ़ावा देने का एक नया नीति निदेशक सिद्धांत का समावेश।
  3. “सहकारी समितियां” नाम से एक नया भाग-IX-ख संविधान में जोड़ा गया।

98वां संविधान संशोधन 2012

कर्नाटक राज्य के हैदराबाद-कर्नाटक क्षेत्र के लिए विशेष प्रावधान। विशेष प्रावधान का लक्ष्य एक ऐसे संस्थागत क्षेत्र की स्थापना से है जोकि विकास की जरूरतों को पूरा करने के साथ ही मानव संसाधन को बढ़ाने और शैक्षिक और व्यावसायिक प्रशिक्षण से सेवा और आरक्षण के साथ रोजगार को बढ़ावा देने के लिए स्थानीय कार्यकर्ताओं एवं संस्थानों को धन का न्यायसंगत आवंटन कर सके।

99th Amendments of Indian Constitution: 2014

100th Amendments of Indian Constitution: 2015

  1. भारत और बांग्लादेश के बीच भूमि सीमा समझौते का अनुसमर्थन वाला संशोधन।
  2. भारत-बांग्लादेश भूमि सीमा समझौता 1974 तथा इसके प्रोटोकॉल 2011 के अनुपालन में। इस उद्देश्य के लिए इस संशोधित अधिनियम ने चार राज्यों (असम, पश्चिम बंगाल, मेघालय एवं त्रिपुरा) के भू-भागों से संबंधित संविधान की पहली अनुसूची के प्रावधानों को संशोधित किया।

101वां संविधान संशोधन 2016: Act 122th

इस संशोधन ने देश में वस्तु और सेवा कर (GST) शासन की शुरूआत का मार्ग प्रशस्त किया। वस्तु और सेवा कर केंद्र और राज्य सरकार द्वारा लगाए जा रहे अप्रत्यक्ष करों की जगह लेगा। इसके द्वारा करों के कैस्केडिंग प्रभाव को हटाने और वस्तुओं और सेवाओं के लिए एक सामान्य राष्ट्रीय बाजार प्रदान करने का लक्ष्य है। प्रस्तावित केंद्रीय और राज्य वस्तु और सेवा कर उन सभी वस्तुओं पर लगाया जाएगा, जिनमें वस्तुओं और सेवाओं की आपूर्ति शामिल है, सिवाय उन सभी के जो वस्तु और सेवा कर के दायरे से बाहर रखे गए हैं। तदनुसार, संशोधन में निम्नलिखित प्रावधान किए गये है:

  1. GST 1 जुलाई 2017 को लागू किया गया था।
  2. GST लागू करने वाला प्रथम राज्य असम, बिहार, झारखंड ।
  3. Article 279(A), संशोधन 122th
  4. वस्तुओं और सेवाओं या दोनों की आपूर्ति के प्रत्येक लेनदेन पर वस्तु और सेवा कर लगाने के लिए कानून बनाने के लिए संसद और राज्य विधानसभाओं को समवर्ती कर लगाने की शक्तियां प्रदान की गई।
  5. इसने संविधान के तहत ‘विशेष महत्व के घोषित सामान’ की अवधारणा को खारिज कर दिया। 3. वस्तुओं और सेवाओं के अंतर-राज्यीय लेनदेन पर एकीकृत वस्तु और सेवा कर के लगाने के लिए प्रदान किया गया।
  6. राष्ट्रपति के आदेश से एक वस्तु और सेवा कर परिषद की स्थापना।
  7. पांच साल की अवधि के लिए वस्तु और सेवा कर की शुरूआत के कारण राजस्व के नुकसान के लिए राज्यों को मुआवजे का प्रावधान किया।
  8. सातवीं अनुसूची की संघ और राज्य सूची में कुछ प्रविष्टियों को प्रतिस्थापित और लोप किया गया।

102वां संविधान संशोधन 2016

103वां संविधान संशोधन 2019

104 va samvidhan sanshodhan: 2020

105 va samvidhan sanshodhan: 2021

106Th samvidhan sanshodhan: 2023

Conclusion: Amendments of Indian Constitution

भारतीय संविधान के महत्वपूर्ण संशोधन न केवल इतिहास का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं, बल्कि ये देश के कानूनी और सामाजिक ढांचे में महत्वपूर्ण बदलाव भी लाते हैं। UPSC जैसे परीक्षाओं की तैयारी करने वाले छात्रों के लिए इन संशोधनों की जानकारी होना आवश्यक है।

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