Al Jamiatul Ashrafia University: मदरसे से शुरू हुआ ये विश्वविद्यालय, अब देता है इंजीनियरिंग की डिग्री भी!
Al Jamiatul Ashrafia University: मदरसे से विश्वविद्यालय तक का सफर
1898 में मदरसे के रूप में स्थापित, आज दुनिया भर से छात्रों को आकर्षित करता है। धर्म और दुनियावी ज्ञान का संगम – अल जमियातुल अशरफिया यूनिवर्सिटी
अगर आप ये सोचते हैं कि मदरसे सिर्फ धार्मिक शिक्षा देते हैं, तो आप गलत हैं। उत्तर प्रदेश के आगरा में स्थित अल जमियातुल अशरफिया यूनिवर्सिटी इसका जीता जागता उदाहरण है। 125 साल पहले 1899 में स्थापित ये संस्थान आज एक विश्वविद्यालय बन चुका है, जहां धार्मिक शिक्षा के साथ-साथ आधुनिक शिक्षा भी दी जाती है। ये सिलसिला 125 साल पहले शुरू हुआ था, जब 1899 में हाजी रियासत अली साहब ने “मकतब मिसबाह उलूम” की स्थापना की। धीरे-धीरे ये शिक्षा का केंद्र बनता गया और 1928 में इसे “दारुल उलूम” का दर्जा दिया गया। 1986 में इसे “विश्वविद्यालय” का दर्जा प्राप्त हुआ।
हिंदुस्तान की तारीख में खास मुकाम: आजमगढ़ का गौरव, भारत का रत्न
मैं आजमगढ़ में हूं, एक छोटे से शहर में, या यूं कहें कि भारत के नक्शे पर एक छोटे से बिंदु पर, जो अपनी विशालता और गौरव के लिए जाना जाता है। यदि हम सिर्फ आजमगढ़ की बात करें तो यह बहुत छोटा होगा, लेकिन अगर हम इसकी ऐतिहासिक विरासत को देखें तो यह भारत के इतिहास का एक महत्वपूर्ण अध्याय बन जाता है। और इस अध्याय का सबसे चमकदार पन्ना है अल जमियातुल अशरफिया यूनिवर्सिटी।
तालीम की राह पर कदम
तालीम एक ऐसा जरिया है जो इंसान को उसकी मंजिल तक पहुंचाने में मदद करता है। अल जमीयतुल अशरफिया यूनिवर्सिटी इस राह में एक प्रमुख भूमिका निभा रही है, और यह इदारा देश और दुनिया भर के छात्रों के लिए एक आदर्श तालीमी मरकज़ बन चुका है।
मदरसे से विश्वविद्यालय तक का सफर
सन 1898 में स्थापित, अल जमियातुल अशरफिया ने शुरुआत में एक मदरसे के रूप में की थी। धीरे-धीरे यह एक शिक्षा केंद्र के रूप में विकसित हुआ और 1928 में इसे ‘दारुल उलूम‘ का दर्जा दिया गया। 1986 में इसे ‘विश्वविद्यालय’ का दर्जा प्राप्त हुआ और आज यह एक प्रतिष्ठित संस्थान है जो धार्मिक और आधुनिक शिक्षा दोनों प्रदान करता है। सन 1898 में, यह इदारा एक मदरसे के तौर पर शुरू हुआ था। आज, अल जमीयतुल अशरफिया यूनिवर्सिटी न सिर्फ मुल्क बल्कि दुनिया के कोने-कोने से छात्रों को आकर्षित कर रही है, जो यहां आकर अपना मुस्तकबिल संवारते हैं।
विस्तार और शाखाएं: विभिन्न विषयों में शिक्षा
Al Jamiatul Ashrafia University विभिन्न विषयों में स्नातक, स्नातकोत्तर और डॉक्टरेट की डिग्री प्रदान करती है। धार्मिक शिक्षा के अलावा, यहां अरबी भाषा, अंग्रेजी भाषा, उर्दू भाषा, हिंदी भाषा, फारसी भाषा, गणित, विज्ञान, कंप्यूटर विज्ञान, इतिहास, दर्शन, राजनीति विज्ञान, अर्थशास्त्र, समाजशास्त्र, मनोविज्ञान और शिक्षा जैसे विषयों में भी शिक्षा दी जाती है। अल्लाह ताला का फजल और करम है कि हिंदुस्तान की सरजमीन पर इतना बड़ा अहले सुन्नत व जमात का कोई दूसरा इदारा नहीं चल रहा है।
इसकी बहुत सी शाखाएं हैं और यहां माशाल्लाह इंटर तक की तालीम दी जाती है। हजरत मुबारक हुसैन मिस्बाही ने बताया, “जब इसकी शुरुआत हुई, तब सिर्फ दीनी तालीम थी, लेकिन समय के साथ यहां अंग्रेजी, कंप्यूटर, और इंटर कॉलेज की तालीम भी दी जाने लगी। मदरसे का नाम सुनकर अक्सर लोगों के जहन में सिर्फ दीनी तालीम का ख्याल आता है, लेकिन यहां दीनी और दुनियावी दोनों तालीम दी जाती है।”
अंतर्राष्ट्रीय छात्र और व्यवस्थाएं
देश भर से ही नहीं, बल्कि ब्रिटेन, अमेरिका, हॉलैंड, इंग्लैंड और साउथ अफ्रीका से भी तलबा यहां आते हैं। यहां का हॉस्टल भी अंतर्राष्ट्रीय छात्रों के लिए बना हुआ है। हजरत ने बताया, “यूनिवर्सिटी में 8000 से भी ज्यादा छात्र अध्ययनरत हैं। उनके रहने के लिए अलग हॉस्टल की व्यवस्था भी है। इनका इंतजाम एक ही कमेटी के तहत होता है, जिसका सबसे अहम ओहदा हुजूर हाफिज मिल्लत के साहबजादे हजरत अल्लामा शाह अब्दुल हफीज अजीजी के पास है। उन्होंने अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी से इंजीनियरिंग की पढ़ाई भी की है।”
इंफ्रास्ट्रक्चर और सुविधाएं
Al Jamiatul Ashrafia University का इंफ्रास्ट्रक्चर भी बहुत ही बेहतरीन है। लेफ्ट साइड में हाजी मोइनुद्दीन खान हॉस्टल है और कई दूसरे हॉस्टल जैसे अजीज हॉस्टल भी हैं। एक खूबसूरत मस्जिद भी है जो बहुत बड़े रकबे पर फैली है। इसके अलावा, एडमिनिस्ट्रेशन ब्लॉक, दर्स गाह और अन्य तालीमी बिल्डिंग्स भी यहां मौजूद हैं।
कैसे होता है इतने बड़े संस्थान का प्रबंधन?
इतने बड़े संस्थान का प्रबंधन एक कमेटी करती है। इसकी अगुवाई हजरत अल्लामा शाह अब्दुल हफीज अजीजी करते हैं, जो खुद अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी से इंजीनियरिंग की डिग्री प्राप्त इंजीनियर हैं। सरकारी मदद के बारे में हजरत ने बताया, “हमें अरबी फारसी मदरसा बोर्ड से 86 लोगों की तनख्वाह मिलती है। इसके अलावा कोई सरकारी मदद नहीं मिलती। बाकी सभी इंतजाम अल्लाह के करम से होते हैं। अल्लाह ही सब कुछ करने वाली जात है।