हाल ही में, मैंने अपनी ChatGPT हिस्ट्री चेक की। पहले मेरे सवाल कितने intense थे – geopolitical case studies, investment strategies, coding tutorials. और अब? “कितने घंटे सोऊं?”, “मूवी बताओ?” अजीब है ना! हम सोचते हैं की हम AI को कंट्रोल करते हैं, पर जैसे जैसे dependency बढ़ती जा रही है? तो ‘Decision Paralysis’ होना लाज़मी है।
जो AI कभी solution था, अब वही एक problem बन गया है। अगले स्टेज में तो, AI आपके सवाल पूछने से पहले ही उन्हें जान लेगा। यह एक ‘buzzword’ बन चुका है और हर कोई इसका इस्तेमाल कर रहा है – AI smartphone, AI car, AI traffic control, AI trimmer, AI shoe, AI samosa. AI, टेक्नोलॉजी के ‘ओरी’ जैसा है, हर जगह penetrate कर रहा है।
मैंने सोचा था कि मैं AI से ज़्यादा smarter हूँ, पर जैसे-जैसे मेरी dependency बढ़ी, मेरे सवाल भी अजीब होते चले गए। सच कहूँ तो, आपने ChatGPT को इतना data feed कर दिया है कि शायद कोई आपको उससे बेहतर नहीं जानता होगा।
कुछ ऐसे सवाल हैं, जो हम इस Blog में पूछना चाहते है, कि AI का इस्तेमाल करें या खुद को AI के इस्तेमाल से बचाएँ। आज जब knowledge of the universe आपकी उँगलियों पर है, कौन सा AI tool इस्तेमाल करें? क्या पूछें और क्या न पूछें?

AI का असर: जॉब मार्केट का शॉकिंग Shift
पहले एक hierarchy होती थी – लकिन अब Job market पर AI का असर साफ़ दिख रहा है। ये pyramid को ‘Hourglass’ model’ में बदल रहा है। Middle-level jobs खतरे में हैं क्योंकि AI वो काम कर रहा है। Top management और frontline workers अभी भी ज़रूरी हैं।
AI का असर: आपके दिमाग़ को क्या हो रहा है?
सिर्फ आपकी नौकरी danger में नहीं है। अगर आप AI का wisely इस्तेमाल नहीं करते हैं, तो आप, आपका परिवार, आपका समाज, सब danger में हैं। इसे ‘Cognitive Offloading’ कहते हैं।
एक MIT स्टडी बताती है कि ChatGPT का इस्तेमाल करने वाले लोगों का brain functioning 47% होता है, जबकि जो इसका इस्तेमाल नहीं करते उनका 63%।
AI का इस्तेमाल करने वाले लोग critical thinking, memory retention, और creative problem solving में कम स्कोर कर रहे हैं। अगर हर चीज़ AI से पूछोगे, तो सोचना कब सीखोगे?
Dopamine Engineering से सावधान! सोशल मीडिया पर अगली 5 रील्स AI तय करता है, आप नहीं। AI models आपको control करना सीख रहे हैं।
AI का असर: Copyright और Deepfake का डबल Threat
रॉयटर्स, न्यूयॉर्क टाइम्स ने इन बड़ी कंपनियों के खिलाफ cases दायर किए हैं। Developers ने GitHub के खिलाफ case दायर किया है। उन्होंने उनका data कैसे चुराया?
AI models भारी मात्रा में data पर train होते हैं। अगर आप उससे कविता लिखने को कहेंगे, तो वह ऐसा कर पाता है क्योंकि उसने 1 लाख कविताएँ पढ़ी हैं। तो writers, musicians, artists, और developers ने आरोप लगाया कि इन बड़ी कंपनियों ने उनकी data का इस्तेमाल उनकी permission के बिना किया। और अब वे नया data generate कर रहे हैं और हमें फायदा नहीं मिल रहा? आप किसी अख़बार का subscription नहीं खरीदेंगे।
आपको ‘Ghibli trend’ के बारे में पता होगा, लकिन जिस व्यक्ति ने यह कला बनाई, उसने कहा कि यह कलाकारों पर एक मज़ाक हैं generative AI से creativity खतरे में है।
हाल ही में अर्चिता फुकन का एक मामला सामने आया, जहाँ उनके बॉयफ्रेंड ने उनकी AI-generated videos वायरल कर दी। बाद में पुलिस case के बाद पता चला कि सामग्री fake थी।

AI का असर: Data Power और Energy Crisis
आमतौर पर सरकार surveillance करती है। वे आपका data Aadhaar से PAN card तक जानते हैं, लेकिन… जब आप अपना data OpenAI, Perplexity जैसी AI कंपनियों को देना शुरू करते हैं, तो उनके पास इतना data होता है कि उन्होंने आपको control करना शुरू कर दिया है। Data नया oil है, और power है। पर इस data पर कोई regulation नहीं है।
AI का carbon footprint भी बहुत बड़ा है। ChatGPT सर्च में Google से 10 गुना ज़्यादा power लगती है। अमेरिका की 2-2.5% electricity AI में जा रही है, जो अभी और बढ़ने वाली है। जिससे Energy crisis आ सकती है। जो देश AI और energy solutions पर साथ काम करेगा, वही AI race में जीतेगा और वह असली ‘Vishw Guru’ बनेगा।
AI का असर: फ्यूचर के लिए तैयार होना है ज़रूरी
इस आर्टिकल में हमने AI का असर हमारी डेली लाइफ, करियर और सोचने के तरीके पर पड़ने वाले कई critical aspects को समझा। AI की दुनिया में हो रहे इन rapid changes को समझना और उनके लिए तैयार रहना बहुत ज़रूरी है।