Paris Olympic 2024: खेलों का महासंग्राम खिलाड़ी जुटेंगे, खेलेंगे और जीतेंगे
इस समय पूरी दुनिया की नजरें पेरिस पर टिकी हैं। इस बार का ओलंपिक सुरा और सुंदरियों के देश फ्रांस में आयोजित हो रहा है। खिलाड़ियों के अलावा हजारों दर्शक भी पेरिस पहुंच गए हैं जो 26 जुलाई को इसके भव्य उद्घाटन के साक्षी होंगे। ओलंपिक खेलों में शामिल होना किसी भी खिलाड़ी के लिए गौरव की बात है। पेरिस ओलंपिक 2024 फ्रांस में आयोजित होने वाला अब तक का सबसे बड़ा आयोजन होगा और इसका आयोजन 26 जुलाई से 11 अगस्त तक किया जाएगा।
ओलंपिक खेलों का महत्व
ओलंपिक खेलों का महत्व केवल खेल प्रतिस्पर्धा तक सीमित नहीं है। यह एक ऐसा मंच है जहां विभिन्न देशों और संस्कृतियों के खिलाड़ी एक साथ आकर एकता और शांति का संदेश देते हैं। ओलंपिक खेलों के माध्यम से देशों के बीच अंतरराष्ट्रीय संबंध और सहयोग में भी वृद्धि होती है। खेलों के दौरान स्वस्थ प्रतिस्पर्धा और खेल भावना को बढ़ावा मिलता है।
Paris Olympic 2024: की अन्य मुख्य विशेषताएं
- आयोजन की तिथि: 26 जुलाई 2024 से 11 अगस्त 2024 के बीच होगा। यह ओलंपिक का 33वां संस्करण होगा जिसमें 10,500 एथलीट भाग लेंगे।
- शुभंकर: पेरिस 2024 ओलंपिक खेलों का शुभंकर “ओलंपिक फ्रीज” है, जो पारंपरिक छोटी फ्रीजियन टोपी पर आधारित है। इस शुभंकर का डिज़ाइन फ्रांसीसी संस्कृति और इतिहास को दर्शाता है।
- महिला और पुरुष खिलाड़ियों की समान संख्या: यह पहली बार है जब ओलंपिक खेलों में महिला और पुरुष खिलाड़ियों की संख्या समान होगी, जिससे लैंगिक समानता को बढ़ावा मिलेगा।
- आयोजन में आधुनिक तकनीक का उपयोग: इस बार के आयोजन में आधुनिक तकनीक के स्तर पर कई परिवर्तन किए गए हैं। स्मार्ट स्टेडियम, उच्च गति की इंटरनेट कनेक्टिविटी और उन्नत सुरक्षा व्यवस्था का उपयोग किया जाएगा।
- ब्रेक डांसिंग पहली बार ओलंपिक खेलों का हिस्सा: इस साल ओलंपिक में ब्रेक डांसिंग को शामिल किया गया है, जो युवा पीढ़ी के बीच काफी लोकप्रिय है।
Paris Olympic 2024: तकनीकी नवाचार
- पेरिस ओलंपिक में नवीनतम तकनीकों का व्यापक उपयोग किया जाएगा। इसमें स्मार्ट स्टेडियम, उच्च गति की इंटरनेट कनेक्टिविटी, उन्नत सुरक्षा व्यवस्था, वर्चुअल रियलिटी और ऑगमेंटेड रियलिटी शामिल हैं। इन तकनीकों का उपयोग दर्शकों के अनुभव को और भी बेहतर बनाने के लिए किया जाएगा।
Paris Olympic 2024: पर्यावरणीय पहल
- पेरिस ओलंपिक 2024 को कार्बन न्यूट्रल बनाने के प्रयास किए जा रहे हैं। आयोजन समिति ने दावा किया है कि यह ओलंपिक खेल कार्बन न्यूट्रल होंगे और उनमें स्थाई संसाधनों का उपयोग किया जाएगा।
- समानता और समावेशन: पेरिस ओलंपिक में समानता और समावेशन पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। महिला और पुरुष एथलीट्स के बीच समान पदक प्रतिस्पर्धा सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाए जा रहे हैं। इसके अलावा, पैरा ओलंपिक खेलों को भी अधिक महत्व दिया जाएगा, जिससे विकलांग एथलीट्स को भी समान अवसर मिल सके।
- पर्यावरणीय स्थिरता: इस साल के ओलंपिक में पर्यावरणीय स्थिरता पर विशेष ध्यान दिया गया है। आयोजन के दौरान कार्बन फुटप्रिंट को न्यूनतम करने के प्रयास किए जा रहे हैं।
- नए खेलों का समावेशन: इस साल ओलंपिक में ब्रेक डांसिंग, स्केटबोर्डिंग, सर्फिंग और स्पोर्ट क्लाइंबिंग जैसे नए खेलों को शामिल किया गया है।
- सांस्कृतिक कार्यक्रम: आयोजन के दौरान विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रम, संगीत समारोह और प्रदर्शनी आयोजित की जाएंगी जिससे दुनिया भर के लोग फ्रांसीसी संस्कृति का अनुभव कर सकेंगे।
ओलंपिक खेलों का इतिहास
प्राचीन ओलंपिक खेल
ओलंपिक खेलों की शुरुआत प्राचीन ग्रीस में हुई थी। यह खेल पहली बार 776 ईसा पूर्व में ओलंपिया नामक स्थान पर आयोजित किए गए थे। यह खेल ज्यूस देवता के सम्मान में आयोजित होते थे। 394 ईसवी में रोमन सम्राट थियोडोसियर ने ओलंपिक खेलों के आयोजन को समाप्त कर दिया था।
ओलंपिक मशाल और मशाल रिले परंपरा
ओलंपिक मशाल ओलंपिक खेलों की समृद्ध विरासत का एक अभिन्न हिस्सा है। मशाल रिले के दौरान मशाल ओलंपिक खेलों की घोषणा करती है और लोगों के बीच शांति और दोस्ती का संदेश फैलाती है। आधुनिक ओलंपिक खेलों में मशाल की परंपरा 1928 के एमस्टरडम ओलंपिक में शुरू हुई और मशाल रिले की परंपरा 1936 के बर्लिन ओलंपिक से शुरू हुई।
आधुनिक ओलंपिक खेलों का प्रारंभ
“Pierre De Coubertin” एक प्रसिद्ध फ्रांसीसी फिलोसोफर और राजनेता थे। एक दिन अपने मित्रों के साथ एक चाय की दुकान में बैठे हुए थे, जब उन्होंने कुछ खिलाड़ियों को ओलंपिक खेलों के बारे में उत्साहित होकर बात करते देखा। Pierre De Coubertin का दिल उदास हो गया क्योंकि उन्हें लगा कि लोगों में खेलों के प्रति उत्साह कम है।
Pierre De Coubertin ने जाना कि 776 ईसा पूर्व ओलंपिया की घाटी में ओलंपिक खेलों का आयोजन होता था, जो हर चार साल में गर्मियों में आयोजित किए जाते थे। यह खेल करीब 426 ईस्वी तक चलते रहे। Pierre De Coubertin ने इन प्राचीन ओलंपिक खेलों से प्रेरणा लेकर इन्हें पुनर्जीवित करने का विचार किया।
Pierre De Coubertin ने की आधुनिक ओलंपिक खेलों की स्थापना
साल 1889 में Pierre De Coubertin ने फ्रांस में “यूएस एफएसएन” (Union of French Athletic Sports) की स्थापना की, जिसने फ्रांस में खेलों के विभिन्न संस्थाओं को एकजुट किया। इसी संस्था की एनुअल मीटिंग में Pierre De Coubertin ने ओलंपिक गेम्स को पुनर्जीवित करने का आइडिया प्रस्तुत किया।
1894 में Pierre De Coubertin और उनके दोस्त डिमेट्रियोस विकेलस ने मिलकर ओलंपिक की स्थापना की और 1896 में एथेंस में पहले आधुनिक ओलंपिक खेलों का आयोजन किया। इसमें 14 देशों के 200 खिलाड़ियों ने 43 प्रतियोगिताओं में भाग लिया, जिसमें महिलाओं की संख्या मात्र 20 थी।
पहले ओलंपिक में अमेरिका ने 11 स्वर्ण पदकों के साथ टॉप स्थान प्राप्त किया। भारतीय खिलाड़ी इस पहले ओलंपिक में भाग नहीं ले सके थे।
भारत का ओलंपिक सफर का इतिहास
ओलंपिक में प्रारंभिक भागीदारी
साल 1900 में पेरिस में आयोजित ओलंपिक खेलों में भारत ने पहली बार भाग लिया। नॉर्मन गिलबर्ट बिटकोड, भारत के एकमात्र खिलाड़ी थे जिन्होंने 200 मीटर और 200 मीटर हर्डल्स में भाग लिया और भारत को दो सिल्वर मेडल जिताए। नॉर्मन बिटकोड न केवल भारत बल्कि एशिया के पहले खिलाड़ी थे जिन्होंने ओलंपिक खेलों में हिस्सा लिया।
ओलंपिक में भारत का संघर्ष और सफलता
भारत ने 1904, 1908 और 1912 के ओलंपिक में भाग नहीं लिया। इसके कारण थे ट्रांसपोर्टेशन इशूज, फाइनेंशियल हार्डशिप्स और भारतीय एथलीट्स की फाइनेंशियल सिचुएशन। 1916 के ओलंपिक खेलों को प्रथम विश्व युद्ध के कारण स्थगित कर दिया गया।
ओलंपिक में टीम के रूप में भारत की भागीदारी
1920 में भारत ने ओलंपिक खेलों में टीम के रूप में भाग लिया। इस ओलंपिक में भारत का पांच सदस्यीय दल भेजा गया जिसमें एथलीट पुरमा बनर्जी ने पहली बार ओलंपिक खेलों में देश का झंडा अपने हाथों में लिया।
ओलंपिक में भारतीय हॉकी टीम का स्वर्णिम युग
भारतीय हॉकी टीम ने 1928 में पहला गोल्ड मेडल जीतकर ओलंपिक में भारत का नाम रोशन किया। यह स्वर्णिम युग 1980 तक चला। 1928, 1932, 1936, 1948, 1952, 1956, 1964 और 1980 के ओलंपिक खेलों में भारतीय हॉकी टीम ने गोल्ड मेडल जीते।
ओलंपिक में व्यक्तिगत उपलब्धियाँ
- के डी जादव: 1952 में रेसलिंग में ब्रॉन्ज मेडल जीतकर भारत को पहला व्यक्तिगत ओलंपिक मेडल दिलाया।
- लिंडर पेस: 1996 में टेनिस में ब्रॉन्ज मेडल जीतकर भारत को टेनिस में पहला और एकमात्र मेडल दिलाया।
- कर्णम मल्लेश्वरी: 2000 सिडनी ओलंपिक में वेटलिफ्टिंग में ब्रॉन्ज मेडल जीतकर भारत की पहली महिला ओलंपिक मेडलिस्ट बनीं।
- राजवर्धन सिंह राठौर: 2004 में शूटिंग में सिल्वर मेडल जीतकर भारत के पहले शूटिंग मेडलिस्ट बने।
- अभिनव बिंद्रा: 2008 बीजिंग ओलंपिक में शूटिंग में गोल्ड मेडल जीतकर भारत के पहले व्यक्तिगत गोल्ड मेडलिस्ट बने।
- सानिया नेहवाल और मेरी कॉम: 2012 में सानिया ने बैडमिंटन में और मेरी कॉम ने बॉक्सिंग में ब्रॉन्ज मेडल जीतकर भारत को दो महिला ओलंपिक मेडलिस्ट दीं।
- पीवी सिंधू: 2016 में बैडमिंटन में सिल्वर मेडल और 2020 टोक्यो ओलंपिक में ब्रॉन्ज मेडल जीतकर भारत की पहली महिला मल्टी-मेडलिस्ट बनीं।
- नीरज चोपड़ा: 2020 टोक्यो ओलंपिक में जेवलिन थ्रो में गोल्ड मेडल जीतकर एथलेटिक्स में भारत के पहले गोल्ड मेडलिस्ट बने।
पेरिस ओलंपिक 2024 भारतीय टीम की तैयारियाँ
भारत के एथलीटों को 140 करोड़ देशवासियों का समर्थन प्राप्त है और उम्मीद है कि वे पेरिस ओलंपिक 2024 में अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन देंगे। भारत की ओलंपिक जर्नी अनगिनत संघर्ष और सफलताओं से भरी हुई है। इस बार भी भारतीय टीम अपने देश का नाम रोशन करने के लिए पूरी तरह तैयार है।
ओलंपिक के महत्वपूर्ण तथ्य
- आजादी के बाद पहला गोल्ड मेडल भारतीय हॉकी टीम ने 1948 लंदन ओलंपिक में जीता।
- पहले व्यक्तिगत गोल्ड मेडलिस्ट अभिनव बिंद्रा 2008 बीजिंग ओलंपिक में शूटिंग में गोल्ड मेडल जीतने वाले थे।
- पहली महिला मल्टी-मेडलिस्ट पीवी सिंधू बैडमिंटन में 2016 और 2020 ओलंपिक में मेडल जीतीं।
- पहले पुरुष मल्टी-मेडलिस्ट सुशील कुमार ने कुश्ती में दो मेडल जीते।
ओलंपिक की आगे की राह
ओलंपिक गेम्स खेल परंपरा और टीम भावना को प्रोत्साहित करते हैं और यह संदेश देती हैं कि खेल को जीतने से अधिक जरूरी है खेल को स्वस्थ प्रतिस्पर्धा के साथ खेलना। पेरिस ओलंपिक भी इस प्राचीन विरासत और समृद्ध खेल संस्कृति को एक कदम और आगे बढ़ाएगा। ओलंपिक खेलों का भविष्य उज्ज्वल है और आने वाले वर्षों में यह खेल और भी व्यापक और समृद्ध होंगे। विश्व के सभी देशों और खिलाड़ियों को एक साथ लाने वाले ओलंपिक खेल वास्तव में वैश्विक शांति और सहयोग का प्रतीक हैं।
आने वाले पेरिस ओलंपिक 2024 में भारतीय एथलीट्स से फिर से नए कीर्तिमान स्थापित करने की उम्मीद है। उन्हें हमारी ओर से शुभकामनाएँ!
निष्कर्ष
ओलंपिक गेम्स खेल जगत की अमूल्य विरासत है जो विश्व के सभी बेहतरीन खिलाड़ियों को एक मंच प्रदान करती है। पेरिस ओलंपिक 2024 भी इस प्राचीन विरासत और समृद्ध खेल संस्कृति को एक कदम और आगे बढ़ाएगा। ओलंपिक खेलों के माध्यम से देशों के बीच अंतरराष्ट्रीय संबंध और सहयोग में भी वृद्धि होती है। खेल को जीतने से अधिक जरूरी है खेल को स्वस्थ प्रतिस्पर्धा के साथ खेलना।
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