कैसे होता है संसद से सांसदों का निलंबन ?
हाल ही में सदन की कार्यवाही में बाधा डालने के लिए 78 विपक्षी सांसदों (लोकसभा से 33 सदस्य और राज्यसभा से 45 सदस्य) को संसद से निलंबित कर दिया गया है।
निलंबन की शक्ति:-
- सामान्य सिद्धांत के अनुसार यह लोकसभा के अध्यक्ष और राज्यसभा के सभापति का कर्त्तव्य है कि वह व्यवस्था बनाए रखें, जिससे सदन सुचारू रूप से चल सके।
- यह सुनिश्चित करने के लिये कि कार्यवाही उचित तरीके से संचालित हो, अध्यक्ष/सभापति के पास किसी सदस्य को सदन से हटाने के लिये मज़बूर करने का अधिकार है।
- बता दें कि निलंबन रद्द करने का अधिकार लोकसभा और राज्यसभा दोनों सदनों के पास है।
- सदन एक प्रस्ताव के माध्यम से निलंबन रद्द करने का निर्णय ले सकता है।
प्रक्रिया के सामान्य नियम:-
- लोकसभा-
- नियम 373:- यह नियम अध्यक्ष को अव्यवस्थित आचरण पर सदस्य को तत्काल सदन से बाहर निकालने की शक्ति प्रदान करता है।
- नियम 374:- अध्यक्ष किसी सदस्य का नाम बता सकता है, जो अध्यक्ष के अधिकार की अवहेलना करता है या लगातार और जानबूझकर सदन के कामकाज में बाधा डालकर सदन के नियमों का दुरुपयोग करता है।
- निलंबन की अवधि शेष सत्र से अधिक नहीं होगी।
- नियम 374A:- अध्यक्ष द्वारा किए गए गंभीर उल्लंघन या गंभीर आरोपों के मामले में सदस्य स्वचालित रूप से सदन की सेवा से निलंबित हो जाता है। सदस्य को लगातार पाँच बैठकों या शेष सत्र, जो भी कम हो के लिए निलंबित कर दिया जाता है।
- राज्य सभा
- नियम 255:- इस नियम के तहत सदन का पीठासीन अधिकारी अव्यवस्थित आचरण के लिए सांसद को निलंबित कर सकता है।
निलंबन के पिछले मामले:-
- 1989 में इंदिरा गांधी हत्याकांड पर जस्टिस ठक्कर समिति की रिपोर्ट पेश करने पर हंगामे के कारण 63 सांसदों (पिछले उच्चतम) को लोकसभा से निलंबित कर दिया गया था। हालाँकि, एक दिन बाद निलंबन रद्द कर दिया गया था।
- 2012, 2013 और 2014 में क्रमशः 8, 12 और 9 सांसदों को संसद से निलंबित कर दिया गया था।
- जनवरी 2019 में तत्कालीन लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने कावेरी मुद्दे पर चर्चा के दौरान विरोध और हंगामा करने के आरोप में 45 सांसदों को कुछ बैठकों के लिए लोकसभा से निलंबित किया था।
- वहीं, जुलाई 2022 में GST दरों में बढ़ोतरी पर सदन की कार्यवाही में बाधा पहुँचाने के कारण राज्यसभा से 19 सांसदों को निलंबित कर दिया गया।