भारतीय भाषा पुस्तक योजना के तहत शिक्षा मंत्रालय ने अब कॉलेज और विश्वविद्यालय स्तर की पढ़ाई को भारतीय भाषाओं में आसान बनाने की पहल शुरू की है। इस योजना का उद्देश्य है कि छात्रों को अब अपनी मातृभाषा में भी उच्च शिक्षा मिल सके – चाहे वह इंजीनियरिंग हो या साइंस।
क्या है भारतीय भाषा पुस्तक योजना?
MoE ने ‘भारतीय भाषा पुस्तक’ योजना शुरू की है, जिसके अंतर्गत अगले तीन वर्षों में देश की प्रमुख केंद्रीय विश्वविद्यालयों के 4,000–5,000 ग्रेजुएट व पोस्ट‑ग्रेजुएट कोर्सेज की किताबें भारतीय भाषाओं में डिजिटली प्रकाशित की जाएंगी।
किताबों में अनुवाद के साथ-साथ मूल लेखन भी शामिल होगा, जिससे गुणवत्तापूर्ण कंटेंट सुनिश्चित हो सकता है।
IIT में अब हिंदी में?
IIT जोधपुर पहले से ही हिंदी माध्यम में B.Tech की पढ़ाई शुरू कर चुका है। यहां पर छात्र JEE Advanced के स्कोर से दाखिला लेते हैं लेकिन अब उन्हें पढ़ाई हिंदी भाषा में भी करने का विकल्प मिलेगा।
शिक्षा मंत्रालय हर साल लगभग 1,600 सीटें बढ़ाने की तैयारी में है जिससे ज्यादा छात्रों को फायदा मिल सकेगा।
22 भाषाओं में तैयार होंगी 22,000 किताबें
ASMITA योजना के तहत 5 वर्षों में 22 भाषाओं में 22,000 किताबें डिजिटल रूप से तैयार की जाएंगी, यानी लगभग 1,000 किताबें प्रति भाषा। यह किताबें NDLI, SWAYAM और NPTEL जैसे पोर्टल्स पर मुफ्त में उपलब्ध कराई जाएंगी।
NEP 2020 और भाषा नीति
- NEP 2020 के तहत मातृभाषा में शिक्षा को बढ़ावा दिया गया है। शिक्षा मंत्री ने उच्च शिक्षा में स्थानीय भाषाओं को माध्यम बनाये जाने की दिशा में सरकार की प्रतिबद्धता जताई है
- AICTE का Anuvadini टूल इंजीनियरिंग और अन्य प्रोफेशनल कोर्स मटेरियल को भारतीय भाषाओं में अनुवादित करने में प्रयोग हो रहा है
छात्रों के लिए इसके क्या लाभ होंगे?
जब छात्र अपनी भाषा में पढ़ते हैं तो उन्हें विषय जल्दी और गहराई से समझ आता है। इससे रटना कम और सीखना ज्यादा होता है। ग्रामीण और छोटे शहरों के छात्रों को अब अंग्रेज़ी की बाधा के बिना उच्च शिक्षा मिलेगी।
शिक्षकों और संस्थानों के लिए क्या होगा?
- शिक्षण सामग्री तैयार करने के लिए अनुवादकों, लेखक‑संपादकों, क्षेत्रीय भाषा विशेषज्ञों की नई मांग होगी।
- शिक्षण प्लेटफॉर्म्स (जैसे SWAYAM, NPTEL, NDLI) में भाषा‑विशेष डिजिटल कंटेंट का बहुभाषी विस्तार होने की संभावना
निष्कर्ष
यह पहल उच्च शिक्षा में भाषाई समावेशिता और शिक्षण सामग्री की पहुंच को नई ऊंचाइयों पर ले जाएगी। 2025–2028 के बीच 4,000–5,000 कोर्सेज, 22 भाषाओं में 22,000 पुस्तकों, और हिंदी माध्यम में IIT‑स्तर पर B.Tech जैसी गतिविधियाँ इस दिशा में मील के पत्थर साबित होंगी।